केजरीवाल की इमानदारी के आगे बीजेपी की चालाकी वाली राजनीति नाकाम

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केजरीवाल की चतुर रणनीति, लोकसभा चुनाव परिणामों से आत्ममुग्ध भाजपा की अंतिम क्षणों में हड़बड़ी और सदा की भांति कांग्रेस की आत्मघाती राजनीति, जिसे इस बात पर संतोष होगा कि बीजेपी भी तो हारी।

नवोदय टाइम्स पर छपी खबर के अनुसार। इस चुनाव ने आम आदमी पार्टी को फिर से सत्तानशीन कर दिया है, साथ ही भाजपा और कांग्रेस को आत्ममंथन का मौका दिया है।

बीजेपी की लोकसभा चुनाव में भारी विजय के पीछे पुलवामा वगैरह के अलावा ग्रामीण गरीबों के कल्याण की गई योजनाएं भी थीं। पर वे योजनाएं ग्राम केंद्रित थीं।

पर अब शहरों पर भी ध्यान देना होगा। अगले एक दशक में ग्रामीण आबादी का भारी पलायन शहरों की ओर होगा या बड़े गांव शहरों की शक्ल लेंगे।

दिल्ली में मुफ्त बिजली-पानी का जादू सबने देख लिया है। बीजेपी और कांग्रेस के अलावा इसमें ‘आप’ के लिए भी संदेश है।

 

‘आप’ की सरकार लगातार तीसरी बार बनेगी और केजरीवाल मुख्यमंत्री बनेंगे, पर उसकी सीटें कम हुई हैं और वोट प्रतिशत भी कुछ घटा है, बावजूद इसके कि कांग्रेस का काफी वोट ‘आप’ को ट्रांसफर हुआ।

बीजेपी की सीटों और वोट प्रतिशत दोनों में वृद्धि हुई है। सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का हुआ है, जो वोट प्रतिशत के आधार पर इतिहास के सबसे निचले स्तर पर आ गई है।

 

कुछ पर्यवेक्षक मानते हैं कि बीजेपी को हराने के लिए कांग्रेस ने जानबूझकर खुद को मुकाबले से अलग कर लिया। ऐसा है, तो यह आत्मघाती सोच है।

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