श्चिम बंगाल की छह विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर मुख्य विपक्षी भारतीय जनता पार्टी में अधिक उत्साह नजर नहीं आ रहा है। पार्टी ने भले ही सबसे पहले अपने उम्मीदवारों की घोषणा की हो। 13 नवंबर को उपचुनाव होने वाले हैं। इनमें एक सीट भाजपा की और पांच तृणमूल कांग्रेस की हैं। दोनों दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, लेकिन सफलता को लेकर भाजपा ज्यादा आशान्वित नजर नहीं आ रही है।
पश्चिम बंगाल भाजपा के कई नेताओं का मानना है कि उपचुनाव के लिए उनकी तैयारियों में कमी रही है। मदारीहाट सीट पर पार्टी ने राहुल लोहार को मैदान में उतारा है, परंतु उन्हें चुनाव की तैयारी के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल सका। हालांकि, भाजपा नेता मनोज टिग्गा, जो वर्तमान में अलीपुरद्वार से सांसद हैं, इस सीट को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि मदारीहाट की जमीन भाजपा की है, और चुनावी जीत सुनिश्चित है।
भाजपा नेताओं को यह चिंता है कि तृणमूल कांग्रेस के सामने मुकाबला कठिन हो सकता है। नेताओं का कहना है कि न केवल मदारीहाट बल्कि मिदनापुर, नैहाटी और तालडांगरा सीटों पर भी पार्टी संघर्षरत है, परंतु तृणमूल कांग्रेस चुनाव निष्पक्ष रूप से मतदान होने देगी या नहीं, इस पर संदेह है।
मिदनापुर सीट पर भाजपा के उम्मीदवार शुभजीत राय चुनाव मैदान में हैं। आरजी कर कांड के बाद शहरी मतदाताओं के बीच शासक विरोधी हवा चल रही है, जिसका भाजपा को लाभ मिल सकता है। हालांकि, शुभजीत को उम्मीदवार बनाए जाने के बाद भी भाजपा ने चुनावी तैयारियों पर उतना ध्यान नहीं दिया है, जिससे यह सीट बचाए रखना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से भाजपा ने अपन कई मजबूत सीटों पर उपचुनाव में हार का सामना किया है। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी की संगठनात्मक तैयारियों की कमी और मतदाताओं को बूथ तक लाने में विफलता ने चुनावों में बार-बार नुकसान पहुंचाया है।
तृणमूल कांग्रेस की संगठनात्मक मजबूती इस स्थिति में भाजपा से आगे दिखती है। ममता बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल ने अतीत में कई उपचुनावों में विजय हासिल की है, जिसमें 2009 में वामपंथी शासन के दौरान राजगंज और विष्णुपुर पश्चिम की सीटें शामिल हैं। तृणमूल की रणनीति और संगठनात्मक क्षमता ने इसे हमेशा चुनावी लड़ाई में आगे रखा है।