अवधनामा संवाददाता
महरौनी (ललितपुर) महर्षि दयानंद सरस्वती योग संस्थान आर्य समाज महरौनी जिला ललितपुर के तत्वावधान में “आजादी के अमृत महोत्सव” पर वैदिक धर्म के सही मर्म से युवा पीढ़ी को परिचित कराने के उद्देश्य से संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य द्वारा पिछले एक वर्ष से प्रतिदिन आयोजित “आर्यों के महाकुंभ” व्याख्यान माला में 17 अगस्त 2022 को “जिएं तो जिएं कैसे” विषय पर पंडित नागेश चंद्र शर्मा मुंबई ने कहा कि परमात्मा ने सभी जीवों को स्वभाविक बुद्धि प्रदान की हैं,इनमे इतर पशु पक्षी कीट पतंग आदि भोग योनि है, जबकि मनुष्य कर्मयोनी और भोगयोनी दोनो हैं। मनुष्य अपने शुभ अशुभ कर्मो के द्वारा ही आगामी योनियाँ प्राप्त करता हैं,क्योंकि ईश्वर ने हमें वेद ज्ञान देकर ऋषियों के द्वारा बताए श्रेष्ठ मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को मोक्ष तक ले जाने का मार्ग बताया। इसके लिए हम ऋषियों द्वारा बताएं मार्ग अर्थात योग द्वारा अपनी समस्त एषणाओ का त्याग करते हुए स्वाध्याय,संध्या, हवन ध्यान धारणा पूर्वक अपने विकारों का नाश करें। स्वयं के तथा जड़ चेतन के मंगल की कामना करते रहें। यजुर्वेद 40/1 में कहा हैं जो कुछ इस संसार में चर वा अचर हैं वह सब ईश्वर में व्याप्त हैं।सब उसी का है अत:अन्याय से किसी के धन की आकांक्षा मत कर वरन त्याग पूर्वक धर्म से अपने आत्मा का आनंद भोग ।यही मानव जीवन का लक्ष्य हैं और जीवन जीने की कला हैं।
व्याख्यान माला में बद्री रिछारिया शिक्षक पंडवा, ईश आर्य राज्य प्रभारी भारत स्वाभिमान हरियाणा,सुखवीर शास्त्री मुंबई,डॉक्टर यतींद्र कटारिया मंडी धनौरा,पंडित चंद्र देव शास्त्री बरेली,जय प्रकाश पांडेय प्रतापगढ़,मिथलेश गौर, भोगी प्रसाद म्यामार,जयपाल सिंह बुंदेला मिदरवाहा,रामावतार लोधी प्रबंधक, अवधेश प्रताप सिंह बैंस, प्रो डॉक्टर व्यास नन्दन शास्त्री बिहार,प्रो डॉ वेद प्रकाश शर्मा बरेली,चंद्रकांता आर्या,अनिल नरूला,प्रेम सचदेवा,सुमन लता सेन आर्य शिक्षिका,आराधना सिंह शिक्षिका,विमलेश सिंह,,विवेक सिंह आर्य गाजीपुर, कृष्णा सोनी इंदौर,रामकिशोर निरंजन शिक्षक,सौरभ कुमार शर्मा एडवोकेट प्रयागराज,कमला हंस,चंद्र शेखर शर्मा राजस्थान,शैलेश सविता ग्राम प्रधान अलीगढ़,शिवकुमार यादव बिजौर निवाड़ी,नरेश यादव मुंबई,प्रेम सचदेवा,लाल चंद्र वर्मा खुर्जा,चंद्रभान सेन राज्यपाल पुरुष्कृत शिक्षक पन्ना,रामकुमार सेन अजान, आदि जुड़ रहें हैं। संचालन संयोजक आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य एवम आभार मुनि पुरुषोत्तम वानप्रथ ने जताया।