आज से खुलेंगे देव स्थलों के ताले, लगेंगे जयकारे

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– लाक डाउन में 75 दिन बाद मंदिर के अंदर जाकर पूजा कर सकेंगे भक्त

बांदा। भक्तों का इंतजार था कि आखिर मंदिर के ताले कब खुलें ताकि वह अपने प्रभु के दर्शन कर उनकी पूजा-अर्चना कर सकें। लाक डाउन के 75 दिन बाद सोमवार से शासन के निर्देश का पालन करते हुए प्रशासन के द्वारा सभी देवस्थलों को खोले जाने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन मंदिर में एक बार में सिर्फ पांच ही लोग प्रवेश करेंगे। इसके साथ ही मंदिर में प्रवेश करने के पहले सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना होगा। थर्मल स्क्रीनिंग भी होगी। अस्वस्थ दर्शनार्थी को कतई मंदिर के अंदर प्रवेश नहीं दिया जाएगा। बड़े देव स्थलों के बाहर पुलिस तैनात रहेगी, ताकि किसी भी प्रकार की लापरवाही न हो सके। मंदिर में मौजूद पुजारी और श्रद्धालुओं को मास्क लगाना अनिवार्य किया गया है।
जिलाधिकारी अमित सिंह बंसल ने रविवार को अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद गाइड लाइन जारी करते हुए कहा है कि एक बार में किसी भी देवस्थल पर पूजा और अर्चन के लिए सिर्फ पांच ही श्रद्धालु प्रवेश कर पाएंगे। बड़े मंदिरों में प्रवेश से पहले थर्मल स्क्रीनिंग की जाएगी और सेनेटाइजर का इस्तेमाल किया जाएगा। किसी भी श्रद्धालु में यदि कोरोना जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो उसको मंदिर में प्रवेश करने की इजाजत नहीं होगी। इधर, 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को मंदिर में अब भी प्रवेश करने की इजाजत नहीं होगी। कोरोना का कहर क्या बरपा, पूरा देश लाक कर दिया गया। चित्रकूटधाम मंडल मुख्यालय में भी मंदिरों और मस्जिदों पर ताला जड़ दिया गया था, ताकि कोरोना संक्रमण से बचा जा सके। 25 मार्च से शुरू हुए लाक डाउन के दौरान भक्त अपने भगवान के दर्शन को तरस गए। दूर से ही प्रणाम करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा। लेकिन लाक डाउन पार्ट-5 को अनलाक-1 का रूप देते हुए शासन ने लाक डाउन में पूरी तरह से ढील तो दे दी है, अलबत्ता सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं। वर्तमान समय में चित्रकूटधाम मंडल के कई जिलों में कोरोना के मरीजों में लगातार इजाफा हो रहा है, इसको लेकर प्रशासन पूरी तरह से सतर्क नजर आ रहा है। लेकिन शासन के निर्देश का पालन करते हुए सोमवार से देव स्थलों के बंद ताले खोले जाने की तैयारियां देर शाम तक की जाती रहीं। देखा जाए तो 25 मार्च से लेकर 7 जून रविवार तक कुल 75 दिनों तक देव स्थलों के ताले बंद रहे। यह अपने आप में भविष्य के लिए इतिहास से कम नहीं हैं।

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