डाबर भारत में वनों के बाहर पेड़ उगाने और एग्रोफॉरेस्ट्री को देगा बढ़ावा

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लखनऊ। भारत की अग्रणी विज्ञान पर आधारित आयुर्वेद कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड ने आज सेंटर फॉर इंटरनेशनल फॉरेस्ट्री रीसर्च एवं वर्ल्ड एग्रोफॉरेस्ट्री के साथ मिलकर उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, उड़ीसा, आन्ध्र प्रदेश, असम और तमिलनाडु में एग्रोफॉरेस्ट्री का उपयोग करते हुए वनों के बाहर और खेतों में पेड़ों एवं पौधों में सुधार लाने के लिए विशाल अभियान की शुरूआत की। इस अभियान के द्वारा मेडिसिनल एवं एरोमेटिक पौधों और फलों वाले पौधों पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाएगा। डाबर के द्वारा शुरू किया गया यह अभियान वनों के बाहर एवं खेतों में पेड़ों की संख्या बढ़ाने में कारगर साबित होगा, जिससे वानिकी क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन में कमी लाने के लक्ष्यों को हासिल करने में मदद मिलेगी। साथ ही आस-पास के समुदायां को आजीविका के स्थायी अवसर भी मिलेंगे। डाबर इंडिया लिमिटेड के चीफ़ एक्ज़क्टिव ऑफिसर मोहित मल्होत्रा ने कहा कि डाबर में प्रकृति हमारे कारोबार का मुख्य आधार है। प्राकृतिक अवयवों से बने प्रोडक्ट्स की व्यापक रेंज के साथ हम हर परिवार को अच्छा स्वास्थ्य देने के लिए लगातार काम करते रहे हैं। साथ ही हम प्राकृतिक संसाधनों को सुरक्षित रखने के लिए भी काम करते हैं और अपनी मूल्य श्रृंखला के बाहर भी इस तरह के प्रयासों को अंजाम देते हैं। डाबर के लिए गर्व की बात है कि वनों के बाहर एग्रोफॉरेस्ट्री को बढ़ावा देने के लिए हमें ब्प्थ्व्त्.प्ब्त्।थ् के साथ जुड़ने का मौका मिला है। यह पर्यावरण संरक्षण को सुनिश्चित करने की दिशा में हमारा एक ओर कदम है, जिससे भूमि के क्षरण एवं जैव विविधता के नुकसान को कम किया जा सकेगा। इस परियोजना के तहत चिकित्सकीय गुण वाले चुनिंदा पौधों पर ध्यान दिया जाएगा, इसके अलावा सैटेलाईट नर्सरियां भी स्थापित की जाएंगी ताकि किसान को पौधे लगाने के लिए गुणवत्तापूर्ण सामग्री उपलब्ध कराई जा सके। सेंटर फॉर इंटरनेशनल फॉरेस्ट्री रीसर्च एवं वर्ल्ड एग्रोफॉरेस्ट्री ट्रीज़ आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया प्रोग्राम के संचालन में अग्रणी रहा है। यह एक पांच वर्षीय अभियान है, जिसे स्थायी वानिकी एवं जलवायु अनुकूलन पर द्विपक्षीय समझौते के तहत युनाईटेड स्टेट्स एजेन्सी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेन्ट तथा भारत सरकार के पर्यावरण, वानिकी एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा अंजाम दिया जा रहा है। सात राज्यों – आन्ध्र प्रदेश, असम, हरियाणा, उड़ीसा, राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश – में वनों के बाहर पेड़ों की संख्या बढ़ाना और स्थानीय लोगों को आजीविका के अवसर प्रदान करना ट्रीज़ आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया प्रोग्राम का मुख्य उद्देश्य है। डाबर के साथ साझेदारी के पहले चरण को ट्रीज़ आउटसाइड फॉरेस्ट्स इन इंडिया प्रोग्राम के माध्यम से ही शुरू किया जाएगा। इस अवसर पर डॉ रवि प्रभु, डायरेक्टर जनरल, लिए सेंटर फॉर इंटरनेशनल फॉरेस्ट्री रीसर्च एवं वर्ल्ड एग्रोफॉरेस्ट्री ने कहा भारत की अग्रणी विज्ञान आधारित आयुर्वेद कंपनी डाबर इंडिया लिमिटेड के साथ साझेदारी करते हुए हमें बेहद खुशी का अनुभव हो रहा है। हमें उम्मीद है कि इस साझेदारी के माध्यम से हम कथित राज्यों के छोटे किसान एवं पेड़ उगाने वाले किसान ऐसे रॉ मटीरियल का उत्पादन कर सकेंगे, जिनका उपयोग डाबर के प्रोडक्ट्स में किया जाता है। इससे न सिर्फ इन लोगों को रोज़गार के अवसर मिलेंगे, बल्कि चिकित्सकीय गुणों के पेड़ों को बढ़ावा मिलेगा और भारत के विकास लक्ष्यों एवं एनडीसी लक्ष्यों को हासिल करने में भी मदद मिलेगी। इस समझौते के तहत ऐसे बिज़नेस मॉडल का विकास किया जाएगा, जिसके माध्यम से डाबर समुदाय में उत्पन्न किए जाने वाले उत्पादों को खरीदेगी। साथ ही चिकित्सकीय गुणों के कमर्शियल पौधों के लिए उचित हार्वेस्टिंग प्रोटोकॉल्स बनाए जाएंगे।

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