अवधनामा संवाददाता
ललितपुर। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद नैक द्वारा एक महाविद्यालय में सोमवार को भारत सरकार युवा खेल मंत्रालय द्वारा संचालित राष्ट्रीय सेवा योजना के सात दिवसीय विशेष शिविर का समापन अनूठे ढंग से किया गया। जिसमें एनएसएस की स्वयंसेविकाओं ने बड़े उत्साह से प्रतिभाग किया। राष्ट्रीय सेवा योजना के विशेष शिविर समापन के अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, शिविर में आयोजित सात दिवसीय कार्यक्रम की आख्या प्रस्तुति, सुरुचि भोज का आयोजन एवं राष्ट्र की सेवा को दर्शाता हुआ एनएसएस लक्ष्य गीत के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि कृष्णकांत सोनी विशिष्ट अतिथि विनीत चतुर्वेदी (सीनियर मैनेजमेंट डिपार्मेंट ऑफ रिलायंस), महाविद्यालय के प्रबंधक श्रीमती सितारा देवी, अध्यक्ष कंचन लता यादव, प्रबंध निर्देशिका, प्राचार्य,एन एस एस प्रथम इकाई कार्यक्रम अधिकारी, एन एस एस द्वितीय इकाई कार्यक्रम अधिकारी एवं समस्त स्टाफ द्वारा मां वीणा वादिनी के समक्ष दीप प्रज्वलित कर व पुष्प अर्पित कर किया गया।
इसके पश्चात कार्यक्रम में पधारे मुख्य अतिथि विशिष्ट अतिथि एवं अन्य सम्माननीय अतिथिगणों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात स्वयंसेवी छात्राओं ने सरस्वती वंदना की और उसके बाद स्वागत गीत गाया। तत्पश्चात ”पर्यावरण के प्रति जागरूकता” विषय पर विशेष व्याख्यान प्रस्तुत किया गया।
मुख्य अतिथि कृष्णकांत सोनी ने अपने वक्तव्य में कहा कि पर्यावरण शिक्षा का उद्देश्य यह है कि जनता जागरूक बने, ज्ञान प्राप्त करे, दृष्टिकोण बदले और वास्तविक जीवन की पर्यावरणीय समस्याओं से निपटने की क्षमताओं का एहसास करे। इसके लिए आम जनता को एकीकृत अंतर-विषयक एवं समग्र शिक्षा से परिचित कराया जाना चाहिए। यह केवल शिक्षा के प्रति एक नए दृष्टिकोण से ही संभव है जिसे विश्वविद्यालयों में शिविरों के माध्यम से प्रदान किया जाना चाहिए। महाविद्यालय की प्रबंधक ने पर्यावरण के महत्व को बताते हुए कहा कि वास्तव में, इंसान और पर्यावरण के बीच हमेशा से एक गहरा संबंध रहा है। प्रकृति के बिना कोई भी जीवन संभव ही नहीं है। ऐसे में प्रकृति के साथ इंसानों को तालमेल बिठाना होता है। लेकिन लगातार वातावरण दूषित हो रहा है जो हमारे जनजीवन को तो प्रभावित कर ही रहा है, साथ ही कई तरह की प्राकृतिक आपदाओं की भी वजह बन गया है। मूल्यवान प्राकृतिक संसाधनों की हानि और प्रदूषण के कारण वनस्पतियों और जीवों पर हानिकारक प्रभाव के साथ-साथ अजैविक तनाव भी होता है।
आज के व्याख्यान की मुख्य वक्ता विज्ञान विभागाध्यक्ष ने छात्राओं को बताया कि वायु प्रदूषण स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा पर्यावरणीय खतरा है। शहरों में वायु प्रदूषण के लिए जीवाश्म ईंधन के उपयोग से होने वाला वाहन प्रदूषण एक प्रमुख योगदानकर्ता है। उत्सर्जन सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन की घटना में योगदान देता है, जिससे जंगली और मानव-प्रधान पारिस्थितिकी तंत्र आपदाओं के प्रति बहुत संवेदनशील हो जाते हैं।
एनएसएस प्रथम इकाई कार्यक्रम अधिकारी ने अपने वक्तव्य में कहा कि कार्बन डाइऑक्साइड के बढ़ते स्तर के कारणामस्वरूप वातावरण में परिवर्तन होते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड गर्मी को रोकती है, जिससे वायुमंडलीय तापमान में वृद्धि होती है। जब कोई पौधा मर जाता है, तो अधिक कार्बन डाइऑक्साइड हवा में छोड़ी जाती है। इससे तापमान में अधिक परिवर्तन हो सकता है और हवा में ऑक्सीजन कम हो सकती है। कार्यक्रम का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना की प्रथम, द्वितीय इकाई कार्यक्रम अधिकारियों द्वारा किया गया।
समापन के अवसर पर छात्राओं ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किए एवं राष्ट्रीय सेवा योजना की स्वयं सेविका द्वारा सात दिवसीय विशेष शिविर की आख्या प्रस्तुत की गई।
इस अवसर पर डॉ घूमन अहिरवार, श्रीमती रजनी यादव, गेंदा, मालती राज, नेहा अहिरवार, मुस्ताक खान, राघवेंद्र, यादव, जगत झा, सचिन पटेल, मुजफ्फर अली, रामसहाय, सचिन यादव, विमला, वर्षा स्वयं सेविकाओं में चेतना, रूपाली राय ,अंजली दिवाकर, चांदनी, शालू, मुस्कान, अंजना, सनम, रानू कुशवाहा, महक वर्मा, उपस्थित रही।