जब तक हुसैनियत बाकी है तब तक दीनदारी बाकी है: मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी

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अवधनामा संवाददाता

लखनऊ: हर साल की तरह इस साल भी इमाम बारगाह ए मेहदी अमीनाबाद लखनऊ में अशरा ए मजालिस का सिलसिला शुरू है जिसको मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी खिताब फरमा रहे हैं इस अशरा ए मजालिस का विषय दीन और दीनी मसाएल है।
मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी ने आज पांचवी मजलिस को खिताब करते हुए कहा कि इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम मुहाफिज़े दीन हैं, दीन की हिफाज़त के लिए इमाम करबला गए थे इस लिए हर अज़ादार पर वाजिब व लाज़िम है की वह दीन की हिफाज़त करे और दीन को फैलाए ताकि हुसैनी होने का सबूत दे सकें और अपने आपको हुसैनी बनाने के साथ साथ दीनदार भी बना लें और हम अपने आमाल से ज़ाहिर करें कि हम अज़ादारे इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम भी हैं और दीनदार भी हैं।
मौलाना ने कहा कि दीनदार बनने के लिए हमको दीन की मारेफत हासिल करनी होगी और मारेफते दीन हमको आइमा ए मासूमीन अ०स० के दर से मिलेगी उनकी सीरत से मिलेगी और इंसान चाहे जिस मंज़िल पर पहुंच जाए चाहे जिस मरतबे पर पहुंच जाए तब भी अपने आपको दीन से और दरे अहलेबैत अ०स० से दूर न करे और दुआ करे खालिके काएनात से की हमको तौफीक अता फरमाए कि हम दीन और अहलेबैत से वाबस्ता रहें और अगर हम दीन और अहलेबैत से वाबस्ता नहीं होंगे तो दुनिया में भी नाकाम इंसान रहेंगे और आखेरत में भी नाकाम इंसान रहेंगे।
स्पष्ट रहे इस अशरा ए मजालिस के बाद अज़ाखाने वसीम कैसर मुत्तसिल तनज़ीमुल मकातिब में अशरा मजालिस का सिलसिला शुरू है जिसको मौलाना सय्यद राहिब हसन ज़ैदी खिताब कर रहे हैं जिसका विषय कुरआन की अहमियत और फज़ीलत है।
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