वक़ार रिज़वी
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अपनी मिठाई तो ख़ुद हलवाई भी नहीं खाता, यह कहना किसी हद तक सही नहीं क्योंकि हमारे अपने किचन में जब तक नमक चख न लिया जाये तक तक कोई चीज़ नहीं बनती तो हलवाई बिना चखे मिठाई बना ले ऐसा मुमकिन नहीं, क्योंकि उसको अपनी बनाई चीज़ दूसरों के आगे परोसनी होती है इसलिये मिठाई के सही ज़ायक़े के लिये उसे चखना ज़रूरी है, मिठाई की दुकान में 10 कारीगर होते हैं, सब नहीं चखते, उसमें से कोई एक दो मुक़तलिफ़ मिठाइयों में से एक दो को चख लेते हैं कि खोया ख़राब तो नहीं हुआ, शक्कर सही तो है, मेवा की मिक़दार अपनी जगह है, फिर दुकान का मालिक या उनका हेड भी कोई एक ज़रा सी मिठाई चख के देख लेता है कि उसकी दुकान की बदनामी तो नहीं होगी सब ठीक तो है, इसमें कोई एतराज़कुन बात भी नहीं, यह रिवायत है और रहेगी इसी तर्ज़ पर अगर उर्दू अकादमी के तमाम मिम्बर जो अलहमदो लिल्लाह शुगर के मरीज़ भी नहीं थे और मिठास के शौक़ीन भी अगर उनमें से सिर्फ़ एक दो तजुर्बेकार मिम्बर ने यह देखने के लिये तमाम मिठाइयों में से एक आद ज़रा सी चख ली और फिर उस इदारे की सरपरस्त ने अपने तुजुर्बे को आज़माने के लिये इसकी तसदीक़ करनी चाहिये कि सब ठीक है तो ज़रा सी उसने भी चख ली, तो इसपर वा वैला क्यों ? क्या यह आईन के ख़िलाफ़ काम किया ? क्या यह पहली बार हुआ ? इससे पहले क्या कभी ऐसा नहीं हुआ ? क्या इसपर सरकार की तरफ़ से बेहद इमानदार और क़ाबिल आफ़िसर जिनकी अहलियत पर पूरी क़ौम को नाज़ है और इसीलिये इस सरकार ने भी तीन तीन अहम ओहदों की ज़िम्मेदारी दे रखी है, क्या इन्होंने इस पर कोई एतराज़ किया ? क्या इन्होंने इसके ख़िलाफ़ कोई बयान दिया, फिर पूरे पूरे सफ़े पर तमाम मोहिब्बाने उर्दू के ख़याल छापने का क्या मतलब ? जो इसके ख़िलाफ़ बयान दे रहे हैं उनके बारे में यह कहा जा रहा है कि इन्हें अवार्ड नहीं मिले इसलिये यह मुक़ालेफ़त कर रहे हैं, जो ख़ामोश हैं या कह रहे हैं कि उर्दू अकादमी में सब ठीक है, उनके बारे में कहा जा रहा है कि इनको अवार्ड और साल भर फ़र्ज़ी सेमिनार कराने के लिये रक़म ही इस शर्त पर दी गयी है कि या ख़ामोश रहे या हिमायत करें।
यह तम्हीद इसलिये कि एकबार इस तहरीक को ख़त्म कर देने के बावजूद लोगों का इसरार और इज़हारे ख़्याल का इतना अम्बार लग चुका है कि अगर महीने भर पूरा पेज शाया किया जाये तो भी इंशाअल्लाह कम नहीं पड़ेगा, लेकिन दानिश्वरों की राय है इससे उर्दू अकादमी का वजूद ख़तरे में पड़ जायेगा। इसलिये तमाम मोहिब्बाने उर्दू से एकबार फिर अपील है कि आप ग़लमफ़हमी में है, अकादमी में सब ठीक है इसलिये आप भी ख़ामोश रहें, और मौजूदा सरकार पर भरोसा रखें, उसने भ्रष्टााचार मुक्त सरकार देने का वादा किया है इसीलिये मुसलमानों में सबसे क़ाबिल अफ़सर को सचिव और उसी मोहकमें से फ़ाईनेंन्स आफ़िसर भी बनाकर इसीलिये भेजा है कि अकादमी में किसी भी तरह की कोई बदउनवानी, भ्रष्टाचार न होने पाये और अगर इसका शुभा भी हो तो सरकार को इससे फ़ौरन अवगत कराये।