एएमयूः द फाउंटेन आफ मुस्लिम रेनैसां” (अंग्रेजी में मोहम्मद हारिस बिन मंसूर द्वारा संपादित) तथा ”अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयः मरकज-ए-इल्म-ओ-दानिश” (उर्दू में यासिर अली खान द्वारा संपादित) का विमोचन

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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार, श्री अब्दुल हमीद (आईपीएस) द्वारा आज विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह के अवसर पर दो स्मारिकाओं, ”एएमयूः द फाउंटेन आफ मुस्लिम रेनैसां” (अंग्रेजी में मोहम्मद हारिस बिन मंसूर द्वारा संपादित) तथा ”अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालयः मरकज-ए-इल्म-ओ-दानिश” (उर्दू में यासिर अली खान द्वारा संपादित) का विमोचन किया गया।
अंग्रेजी तथा उर्दू में प्रकाशित दोनों पुस्तकों में कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर का संदेश, रजिस्ट्रार अब्दुल हमीद (आईपीएस) के प्राक्कथन तथा प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई (निदेशक, यूजीसी-एचआरडीसी) द्वारा प्रारंभिक टिप्पणी को शामिल किया गया है। इन पुस्तकों में चैदह लेखों को शामिल किया गया है जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय तथा इसके संस्थापक सर सैयद अहमद खान के जीवन एवं योगदान से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर प्रकाश डालते हैं।

अंग्रेजी पुस्तक में ”ए ग्लोरियस जर्नी आफ हंड्रेड इयर्स” (मोहम्मद हारिस बिन मंसूर), ”स्टोरी आफ ग्लोरी” (असद बिन सआदत), वीमेंस एजूकेंशन (रूकैया फातिमा), ”ब्लेसिंग्स आफ अल्मामैटर” (खनसा सुंदुस), ”अलीगढ़ मुस्लिम यूनिविर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन” (निम्रा अहमद), ”द लैंड आफ यूनिक कल्चर एंड ट्रेडिशंस” (अहमद जैद), ”फ्राम ए ड्रीम टू ए रियलिटी” (सद्दाम शेख), ”ए ट्रांजिशनल जर्नी टूवाडर््स एनलाइटनमेंट” (मोहम्मद फिरोज अहमद), ”द पावरहाउस आफ अवेयरनेस” (अरीबा शब्बीर), ”कोआर्कीटेक्ट आफ ए ड्रीम” (मोहम्मद हसन खान), ”डान आफ सब्सटैनशियल रेनेसां” (तराब हुसैन), ”सिगनिफिकेन्स आफ आफ सर सैयद्स इंटरफेथ आइडियाज़ इन टुडेज़ वलर््ड” (अबदुल सुबूर किदवाई), ”सर सैयदः ए कैरिश्मेटिक पालीटिशियन” (उमर शब्बीर अहसन) तथा रीइनकार्नेशन आफ सर सैयद्स आइडियाज़ इन 21 सेंचुरी (यासिर अहमद) शामिल हैं।
उर्दू संस्करण में ”अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का सौ साला सफर” (यासिर अली खान), ”अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की कहानी, मुमताज इमरतो की जुबानी” (मोहम्मद रिजवान अंसारी), तालीम-ए-निस्वां (सना नाज), मादर-ए-दरस्गाह की नवाज़िशें (सिदरा खान), ”अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी तलबा यूनियन” (मोहम्मद नोमान), ”अलीगढ़ तहरीकः ख्वाब से हकीकत तक” (नदीम अली), तुलु-ए-सुबह-ए-नौ का एक रौशन बाब (रजिया खातून), तजदीद-ए-फिक्र का सुनेहरा आगाज (मुजीब खान), फिक्र वा आगही का चश्मा-ए-हैवां (फर्रुख लोदी), साहिबान-ए-कारवां (अबू बकर मालिन), यही है रख्त-ए-सफर मीर-ए-कारवां के लिए (दाऊद बेग), दास्तान-ए-अहले जुनूं (मोहम्मद फैज), सर सैयद की सियासी फिक्र (आसिफ अफसर सिद्दीकी) तथा ऐसा कुछ करके चलो यां कि बहुत याद रहो (मोहम्मद हारिस बिन मंसूर) शामिल हैं।
इस अवसर पर प्रोफेसर अब्दुर रहीम किदवई (निदेशक, यूजीसी एचआरडीसी) तथा डा० फायज़ा अब्बासी (सहायक निदेशक, यूजीसी एचआरडीसी) उपस्थित थे।

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