अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. राजस्थान के उदयपुर में अस्पताल में भर्ती तो महिलाओं को ए पॉजिटिव प्लाज्मा की सख्त ज़रूरत थी. अकील मंसूरी से इन महिलाओं की जान बचाने के लिए मदद माँगी गई तो अकील रोज़े से थे. अकील ने रक्तदान के लिए अपना रोज़ा तोड़ दिया. अकील इससे पहले भी 17 बार रक्तदान कर चुके हैं.
प्लाज्मा की ज़रूरत पूरी करने के लिए अकील ने रक्तदान के बाद कहा कि मैं रोज़ा अल्लाह की इबादत के लिए रखता हूँ. मेरा मज़हब जान बचाने को सबसे बड़ा मज़हब मानता है. मेरे लिए यह काम भी इबादत ही था. अकील ने बताया कि महिलायें आक्सीजन पर थीं, उनके पास इफ्तार तक इंतज़ार के लिए वक्त नहीं था.
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अकील मंसूरी उदयपुर की एक ऐसी संस्था से जुड़े हैं जो ज़रूरतमंदों को रक्तदान करती है. उन्होंने कहा कि मैं खुद कोरोना महामारी से जूझ चुका हूँ. मुझे पता है कि इसमें कितनी दिक्कत होती है और इसमें प्लाज्मा कितनी अहमियत रखता है.