अचानक हार्ट फेल होने या कार्डियक अरेस्ट के कारण हो रही युवाओं की मौत चिंता का विषय है। लेकिन हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक ऐसा AI मॉडल (AI Model for Heart) तैयार किया है जो दिल के खतरे का पहले ही पता लगा लेगा। डॉक्टर की निगाहों से छिपे खतरों को पहचानने में यह मॉडल मदद करेगा।
अब हार्ट से जुड़ी अचानक होने वाली मौत के खतरे को पहले से पहचाना जा सकेगा। अमेरिका के शोधकर्ताओं ने इसके लिए एक एआइ तकनीक (AI Model for Heart) विकसित की है। यह तकनीक मौजूदा मेडिकल गाइडलाइन से कहीं ज्यादा सटीक और प्रभावी मानी जा रही है।
जान्स हापकिन्स यूनिवर्सिटी के विज्ञानियों द्वारा विकसित इस मॉडल का नाम ‘मल्टीमाडल एआइ फार वेंट्रिकुलर अरिदमिया रिस्क स्ट्रैटिफिकेशन (एमएएआरएस)’ है।
अचानक हार्ट फेल होने का चल जाएगा पता
नेचर कार्डियोवास्कुलर रिसर्च पत्रिका में प्रकाशित इस अध्ययन के बारे में विज्ञानियों ने बताया कि यह माडल मरीजों की कार्डियक एमआरआइ इमेज और हेल्थ रिकार्ड को मिलाकर दिल में छिपे उन संकेतों को पहचानता है जो डॉक्टरों के लिए सामान्य तौर पर देख पाना मुश्किल होता है। इसमें हाइपरट्राफिक कार्डियोमायोपैथी (एक अनुवांशिक दिल की बीमारी) पर फोकस किया गया है। बता दें, यह एक सामान्य आनुवांशिक बीमारी है जो युवाओं में अचानक हार्ट फेल होने का एक बड़ा कारण है।
प्रमुख विज्ञानी नतालिया ट्रायानोवा ने बताया, ‘कई मरीज जवानी में ही इस रोग के कारण मर रहे हैं क्योंकि उनका सही समय पर इलाज नहीं हो पाता। वहीं, कुछ लोग अनावश्यक रूप से डिफाइब्रिलेटर के साथ जीवन बिता रहे हैं। हमारा एआई माडल 89 प्रतिशत सटीकता के साथ यह बता सकता है कि कौन से मरीज को अचानक मृत्यु का ज्यादा खतरा है।
उन्होंने बताया, अमेरिका और यूरोप में उपयोग की जाने वाली क्लिनिकल गाइडलाइंस वर्तमान में जोखिम में रहने वाले मरीजों की पहचान में केवल 50 प्रतिशत की सटीकता का अनुमान लगाती हैं। इसके विपरीत, इस माडल ने 89 प्रतिशत की सटीकता दिखाई। साथ ही 40 से 60 वर्ष की उम्र के मरीजों के लिए 93 प्रतिशत सही अनुमान लगाया।
क्या है खासियत?
इस तकनीक में खास बात यह है कि यह कंट्रास्ट- एन्हांस्ड एमआरआइ स्कैन का विश्लेषण कर दिल में मौजूद सूक्ष्म घावों के पैटर्न को समझता है। डीप लर्निंग तकनीक की मदद से यह माडल उन चेतावनी संकेतों को पहचान लेता है जो भविष्य में अचानक हार्ट फेल का कारण बन सकते हैं।
विज्ञानियों के अनुसार, यह मॉडल न केवल अधिक सटीकता से जोखिम का अनुमान लगाता है बल्कि यह चिकित्सा फैसलों को भी बेहतर बना सकता है । इसके अलावा उन्होंने इसएआइ मॉडल को बड़े स्तर पर मरीजों पर आजमाने का सुझाव दिया।