नजीबाबाद – नजीबाबाद के चैयरमेन इंजीनियर मौअज़्जम ने कहावत को साबित कर दिया कि कुछ भी सीखने के लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती है बस आदमी के अंदर उसको सीखने के लिए जज़्बा और लगन होनी चाहिए! कुरान को कवायदगी के साथ पढ़ने की ठान ली, इतनी मसरुफ़ भरी जिंदगी और जिम्मेदारी होने के साथ-साथ वह रोज़ाना कुरान को पढ़ने मदरसे जाने लगे! लगभग 2 महीने से मुसलसल बिना एक छुट्टी किये हुए कुरान को कवायद के साथ सीख कर पढ़ने लगे! उन्होंने बताया कि मैं जब किसी मदरसे में प्रोग्राम में जाता तो बच्चों को कुरान पढ़ता हुए देख कर मेरा दिल भी ऐसा कुरान पढ़ने को चाहने लगा फिर अल्लाह ने मुझे हिदायत दिया और मैंने अपने कुरान को सही करने के लिए कायदा पढ़ना शुरू किया जैसे जैसे मैं आगे बढ़ता गया मेरी लगन और आगे बढ़ाने की होती रही, और अब अल्हम्दुलिल्लाह एक हद तक मेरा कुरान सही होने लगा, मेरी इसी लगन को देख मेरी फैमिली के लोग भी कुरान पढ़ने और सही करने में दिल से मसरूफ हो होने लगे! उन्होंने आगे बताया जो वे सबक पढ़कर जाते उसको नमाज़ में पढ़ने के लिए बेताब रहते! उन्होंने सभी मुस्लिम लोगों से अपील कर कहा कि कुरान को कवायदगी के साथ अपने-अपने सीने में उतारे, और रोज़ाना उसकी तिलावत कर साथ ही साथ उसका तर्जुमा पढ़ कर कुरान के मुताबिक अपनी जिंदगी गुजा़रे! वही उनके उस्ताद कारी सनव्वर ने कहा कि अगर लगन और जज़्बे के साथ कुछ सीखा जाए तो हम कुछ भी कर सकते हैं! उन्होंने चेयरमैन साहब की तारीफ करते हुए कहा कि इतनी बड़ी जिम्मेदारी होते हुए भी वह कुरान को सीखने के लिए वक्त दे रहे हैं अल्लाह ताला का उन पर बड़ा इनाम है अल्लाह कब कहां किसको हिदायत दे दे कोई नहीं जानता, इसलिए कुरान को सही करने की कोशिश जारी रखें!
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