सदियों बाद पछैहया लोहारों को याद आया आशियाना

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान

मौदहा हमीरपुर।अपने आप को महाराणा प्रताप का वंशज कहने वाले और जमीन पर अपनी गाड़ी के नीचे जीवन यापन करने वाले पछैहया लोहारों को अपने बच्चों के भविष्य को देखते हुए आशियाना की याद आ गई है जिसके चलते लगभग दो दर्जन से अधिक पछैहया लोहारों ने एसडीएम को पत्र लिखकर घर बनाने के लिए जमीन की मांग की है।जिसके बाद एसडीएम ने लेखपालों से जमीन की तलाश करने की बात कही है।
कस्बे के बडे चौराहे के आसपास लगभग पांच दशक से जमीन पर अपनी गाड़ी और झोपड़ी में अपना जीवन बिता रहे पछैहया लोहारों ने एसडीएम को पत्र लिखकर बताया कि वह लोग महाराणा प्रताप के साशन काल से ही खाना बदोश बनकर रह रहे हैं।जिससे उनकी स्थिति से ग्रामीण और शहरी समुदाय भलिभांति परिचित हैं।और हमारा मुख्य व्यवसाय कृषि और घरेलू लोहे के सामान बनाने पर निर्भर है।साथ ही बताया कि सरकार द्वारा घुमन्तु और निम्न जाति वर्ग के लिए जमीन के पटटे आवंटित किए जाते हैं लेकिन उनके समाज को आज तक कोई भूमि नहीं दी गई है।जिसके चलते उनके बच्चों का भविष्य संकट में होता जा रहा है।और गर्मी तथा सर्दी और बरसात में उन्हें अपने परिवार के साथ नारकीय जीवन जीना पडता है।साथ ही उन्हें अपने बच्चों के साथ होने वाले यौन अपराधों का भय सताता रहता है क्योंकि इसके पहले भी एक मासूम बच्ची का अपहरण और हत्या हो चुकी है।सभी लोगों ने एसडीएम से ग्राम समाज की सुरक्षित जमीन पर उन्हें पट्टा देने की मांग की है।जिसपर एसडीएम सुरेंद्र कुमार ने लेखपाल को बुलाकर जमीन तलाशने की बात कही है।साथ ही बताया कि अगर यह लोग कांशीराम कालोनियों में जाना चाहते हैं तो उनके लिए आवास आवंटित कर दिए जाएंगे और अगर गहरौली में जाना चाहे तो पटटे करा दिए जाएं।लेकिन उक्त लोग कस्बे के चार पांच किलोमीटर की रेंज में ही जमीन देने की बात कर रहे हैं।

 

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