अवधनामा संवाददाता
कागजी आंकड़े दुरुस्त, जिले भर में नहीं पेयजल समस्या
कंट्रोल रूम में शिकायतों के हो रहे त्वरित निस्तारण, धरातल पर नहीं
ललितपुर। विगत चार माह से लगातार पेयजल समस्या विकराल रूप लेकर खड़ी है। जनपद के कई ग्रामीण क्षेत्र जहां पेयजल न होने से कई किमी दूर से पानी लाकर जीवन बसर कर रहे हैं, वहीं शहरी क्षेत्र में भी अब पेयजल संकट विकट समस्या के रूप में उभरा है। बात करें पेयजल समस्या निस्तारण की तो कागजों में सब कुछ दुरुस्त मिलेगा, कागजों में पेयजल की कोई समस्या है ही नहीं। समस्या निस्तारण के लिए बनाये गये कंट्रोल रूम से लोगों को ठोस आश्वासन की घुट्टी पिलायी जा रही है, जबकि धरातल पर कोई सुनने वाला नहीं। आलम तो यह है कि अब लोगों ने शिकायत करना भी बंद कर दिया है।
गौरतलब है कि बांधों की नगरी कहलाने वाले ललितपुर जनपद में पेयजल समस्या सबसे बड़ी समस्या बनकर प्रतिवर्ष गर्मी के मौसम में उभरती है। सूबे में निजाम कोई भी हो। बड़े-बड़े मंच से बुन्देलखण्ड को बेहतर बनाने के लिए तमाम प्रकार की योजनाओं का संचालन किया जाता है। जब बात पेयजल की आती है तो घर-घर नल से पानी पहुंचाने के नाम पर लोगों की भावनाओं का माखौल उड़ाया जाता है। गर्मी का मौसम शुरू होते ही पेयजल समस्या धीरे-धीरे नासूर बनती जाती है। हालांकि समय-समय पर स्थानीय प्रशासन से लेकर शासन तक को सैकड़ों की संख्या में लोगों द्वारा शिकायत लिखित व मौखिक रूप से की जाती है। लेकिन आश्वासन रूपी झुनझुना हर किसी के पास होता है, तो वही आमजन को थमा दिया जाता है। बात करें धरातल की तो शहर में बिछी पाइप लाइन का स्ट्रेक्चर दशकों पुराना है, जो कि कम आबादी के मुताबिक बनाया गया था, लेकिन समय के साथ आबादी भी काफी बढ़ गयी है। इसलिए पुराने स्ट्रैक्चर को अपग्रेड करने की आवश्यकता है। लेकिन सम्बन्धित विभाग के अधिकारी इस ओर ध्यान न देते हुये कभी लाइट न होना तो कभी पाइप लाइन लीकेज तो कभी मोटर जलने तो कभी टंकियों के ना भर पाने के कारण पेयजल आपूर्ति बाधित होने की बात कहते हुये जनता को गुमराह करते हैं। हैरत की तो यह है कि उत्तर प्रदेश शासन में राज्यमंत्री पद से सुशोभित होकर ललितपुर का प्रतिनिधित्व कर रहे महरौनी विधायक के मुख्यालय स्थित निवास क्षेत्र में भी पानी की समस्या विकराल है। हालांकि सदर विधायक रामरतन कुशवाहा ने लगातार दूसरी बार विधायक बनते ही जल संस्थान के ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण कर पेयजल आपूर्ति सुदृढ़ किये जाने के निर्देश अधिकारियों को दिये थे, लेकिन मामला आज भी सिफर रहा। बात वहीं आकर फिर थम जाती है कि पुराने स्ट्रैक्चर पर सभी को पानी मुहैया करा पाना संभव नहीं है। ऐसे में आमजन की मांग है कि प्रशासन नये स्ट्रैक्टर की डीपीआर बनाकर शासन को भेजे और बजट पास होते ही युद्ध स्तर पर नया स्ट्रैक्चर का जाल बिछाकर आमजन को पेयजल की समस्या से हमेशा के लिए निजात दिलायें। रही गोविन्द सागर बांध में पेयजल उपलब्धता की तो केन-वेतबा लिंक परियोजना के जरिए जाखलौन पम्प कैनाल से बांध को नहरों के जरिए जोड़ दिया जाये तो बांध में पानी की समस्या भी नहीं रहेगी। लेकिन पेयजल समस्या का निस्तारण कब होगा ? कैसे होगा और कौन करेगा ? पर विचार किया जाता रहा तो यह समस्या सदैव लोगों के जीवन में रहेगी।
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