अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के आधुनिक भारतीय भाषाओं के विभाग के बंगाली खंड द्वारा राम स्वरूप अंखीः पंजाबी साहित्य का एक अनूठा कथाकार विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि प्रो मसूद अनवर अल्वी (कला संकाय के डीन) ने अंखी के कार्यो और अरबी और पंजाबी साहित्य के बीच समानता पर चर्चा की।
मानद् अतिथि श्री श्यामल भट्टाचार्य (साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता तथा प्रख्यात बंगाली लेखक) ने ज्ञानपूर्ण व्याख्यान दिया और राम सरूप अंखी के लेखन की विशेषताओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने युवाओं को साहित्य के अनुवाद कार्य के लिए आगे आने के लिए प्रोत्साहित किया। कार्यक्रम के अंत में उन्होंने सवालों के जवाब भी दिए।
प्रोफेसर क्रांतिपाल (अध्यक्ष, आधुनिक भारतीय भाषा विभाग), ने अपने पिता के साथ भावनात्मक लगाव को उद्धृत किया और उनके लेखन की प्रेरणा साझा की। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन से अन्य भाषाओं में भी साहित्य पढ़ने में रुचि पैदा होती है।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर आसिम सिद्दीकी (अंग्रेजी विभाग, एएमयू) ने राम सरूपजी के लेखन के कई पहलुओं पर विशेष जानकरी प्रदान की, विशेष रूप से उनके अकादमी पुरस्कार विजेता उपन्यास “कोठे खड़क सिंह“ पर ज्ञान वर्धक विचार व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि वर्तमान युग में राम सरूप अंखी का लेखन महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह आधुनिक साहित्य के केंद्र में ग्रामीण जीवन को दर्शाता है।
राष्ट्रीय वेबिनार की आयोजक डा0 अमीना खातुन (प्रभारी, बंगाली खण्ड) ने पंजाबी साहित्य और इसके विभिन्न लेखकों के लेखन का संक्षिप्त परिचय दिया। अमृता प्रीतम की कविता का एक अनुवाद सुरैया परवीन (आलिया विश्वविद्यालय की स्नातकोत्तर छात्रा) द्वारा प्रस्तुत किया गया।
डा0 एस0के0 अप्तार हुसैन (प्रमुख, बंागला साहित्य समूह, कोलकाता) ने कार्यक्रम के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।