एक बेहतरीन रहनुमा चला गया

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A great leader gone
मोहम्मद आलम रिज़वी स्थानीय संपादक अवधनामा

वक़ार साहब हमारे भाई ही नहीं एक बेहतरीन इंसान, एक बेहतरीन भाई, एक बेहतरीन रहनुमा, हम सब को छोड़कर, अल्लाह से जा मिले।
वक़ार भाई की शख़्सियत के बारे में मैं क्या लिखुँ शख़्सियत बहुत बड़ी है और मैं बहुत छोटा हूं मेरे पास अल्फ़ाज़ ही नहीं जो उनके बारे में लिखुँ। अभी तो उनसे सीखने की शुरआत हुवी थी, बहुत कुछ सीखना चाहते थे उनसे, बचपन में मेरे वालिद साहब गुज़र गए, बाप का मरना तो मुझे याद भी नहीं क्योंकि मैं बहुत छोटा था, लेकिन जब आज वक़ार भाई का इंतेक़ाल हुवा तो पहली बार मुझे एहसास हुवा कि भाई के मर जाने से कितना बड़ा सदमा होता है। हम सबके लिए ज़िन्दगी का एक गोशा ऐसा ख़ाली हुआ कि जिसे कोई पुर नहीं कर सकता।
पत्रकारिता की फिजा में बहुत बड़ा स्थान ख़ाली हो गया है ऐसे स्थान को भरना इतना आसान नहीं है। अब बहुत बड़ा सवाल है कि इनके द्वारा लगाया गया एक पेड़ (अवधनामा) जो बहुत बड़ा हो चुका है वो कैसे अपना आगे का सफर तय करेगा।
अल्लाह से दुआ है वक़ार भाई को जन्नत में आला मक़ाम मिले।

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