मौदहा, हमीरपुर: मोहल्ला हैदरगंज स्थित मदरसा यादगार मोहम्मदी हुसैनी में बज़्मे करीम के बैनर तले मासिक तरही मुशायरा 29 जून 2025 को आयोजित हुआ। इस मुशायरे की सदारत इकबाल अहमद एडवोकेट ने की, जबकि संचालन यावर मौध्वी ने किया। नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष श्रीनाथ मुख्य अतिथि व सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता चौधरी जुन्नुरैन मेहमान-ए-एजाज़ी रहे।मुशायरे का आगाज मसीह निजामी ने नात-ए-पाक के साथ किया।
इसके बाद शायरों ने दिए गए मिसरे “जबानों में सियासत देखता हूँ” पर अपने-अपने शेर पेश किए। बदरुद्दीन तायब का शेर “भंवर में डालकर अपना सफीना, भंवर की अब मैं ताकत देखता हूँ” और गफ्फार अहमद वासिफ का शेर “कमाले दस्ते कुदरत देखता हूँ, मैं जब दुनिया की सूरत देखता हूँ” को खूब सराहना मिली। हसीन एडवोकेट इलाहाबाद के शेर “यह जो इकबाल व शोहरत देखता हूँ, फ़कत उसकी बदौलत देखता हूँ” ने भी श्रोताओं का दिल जीता।संचालक यावर मौध्वी ने “जो मेहनत की कमाई से बनी हो, उसी रोटी में बरकत देखता हूँ” पेश किया।
मसीह निजामी का शेर “नहीं रखते वह दाना घोसलों में, परिंदों में यह आदत देखता हूँ” और मूलचंद वारसी नदेहरा का शेर “मोहब्बत है मुझे हर एक शय से, मैं हर शय में मोहब्बत देखता हूँ” भी बेहद पसंद किए गए। इस्लामुद्दीन इस्लाम, मास्टर तकी मौधवी, सफीर माचवी, कुदरत उल्ला तिशना, नूर जमशेदपुरी, निज़ाम मौधवी, इनायत मोइन चिश्ती, रमजान खान साहिल, मोहम्मद इसहाक कातिल, इलमास तालिब, ज़हूर माधवी और ममनून अहमद ने भी अपने शेरों से समां बांधा। आकिल बिजनौर, वहीद अंसारी और आफताब शम्स ने भी अपने कलाम पेश किए।अंत में यावर मौध्वी ने सभी शायरों और श्रोताओं का आभार व्यक्त किया। अगले माह होने वाले मुशायरे का मिसरा “एक दिन आएगा हम भी दास्तां हो जाएंगे” घोषित किया गया।