लखनऊ शीश महल अंदर वाला तालाब हुसैनाबाद में एक मजलिस मुनअकिद की गई। जिसको हुज्जत उल इस्लाम आली जनाब मौलाना डॉक्टर मोहम्मद असकरी ज़ैदी साहब ने खिताब किया।
मौलाना में मजलिस में इंसान की जिंदगी के मुख्तलिफ हालात पर रोशनी डालते हुए खास तौर पर दोस्त के मौजू पर बयान किया। मौलाना ने हजरत अली अलैहिस्सलाम के कौल का हवाला देते हुए कहा कि इंसान के करीब अगर कोई शख्स सबसे ज्यादा होता है तो वह दोस्त होता है।
मजलिस का आग़ाज़ तिलावते कलाम ए पाक से हुआ इसके बाद मन्क़बत ख़्वान हजरात और सोज़ख़्वान हजरात ने अपने फराज अंजाम दिए।
मौलाना ने कहा कि हम इस बात पर ग़ौर र करना चाहिए क्या हमारे समाज पर रसूल ए इस्लाम की सीरत का क्या असर हुआ है। क्या हमारी जिंदगी रसूल और आले रसूल की बताई हुई बातों के मुताबिक है।
मौलाना ने कुरान के हवाले से गुफ्तगू करते हुए कहा कि तमाम दोस्त धोखा देंगे सेवाए उन दोस्तों के जो मुत्तक़ी होंगे।
मजलिस के आखिर में मौलाना ने हबीब इब्ने मज़ाहिर के मसाएब पढ़े।
मजलिस के बाद अंजुमने दस्त ए अली असग़र ने नौहा ख़्वानी और सीनाज़नी की।