अवधनामा संवाददाता
बाराबंकी। पीडीए के आविष्कारक समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से पसमांदा मुसलमानो के कुछ सवाल हैं जो पूरे देश के पसमांदा कर रहे। यूपी के जिन 16% पसमांदा मुसलमान वोटों से उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का वजूद क़ायम है, उनके लिए पार्टी ने अब तक क्या किया। अभी हाल में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में पूरे आजमगढ मंडल यानी आजमगढ, मऊ, बलिया के किसी विधानसभा सीट से किसी पसमांदा मुसलमान को समाजवादी पार्टी ने अपना एक भी उम्मीदवार नही बनाया।
यह बात ऑल इण्डिया पसमांदा मुस्लिम महाज़ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने एक बयान में कही। उन्होंने सवाल किया हैं कि आजमगढ मंडल छोड दीजिये क्या समाजवादी पार्टी ने जौनपुर, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, गाजीपुर, देवरिया, कुशीनगर, गोरखपुर, बस्ती, संत कबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, बलरामपुर, गोंडा, फैजाबाद आदि किसी भी जिले से अपना एक भी उम्मीदवार किसी पसमांदा मुसलमान को घोषित किया था। समाजवादी पार्टी और उसके नेताओं के अंदर अगर जरा सा भी शर्म बची है, तो वो खुद ही सोचे और फैसला करें कि जिन पसमांदा मुसलमानों के साथ उन्होंने अपने सत्ता और संगठन में इतनी नाइंसाफी और ज्यादती की है, क्या पसमांदा मुसलमानों का एक भी वोट पाने के हक़दार वो वाकई में है। हिस्सेदारी नही तो वोट नहीं, पसमांदा मुस्लिम जागरूक हो गए हैं। अब वह उसी दल को वोट करेंगे जहाँ से हिस्सेदारी मिलेगी। 8% फ़ीसदी वोट वाले यादव लोग राज्यसभा जाए, 16% फ़ीसदी आबादी वाले वोट देने वाले पसमांदा मुस्लिम सिर्फ़ दरी बिछाये नारे लगाए। उन्होंने कहा कि अपनी यादव बिरादरी से दो गुना वोट पसमांदा का लेते हैं लेकिन राज्यसभा किसी पसमांदा मुसलमान को क्यों नहीं भेजते। अखिलेश यादव अतिपिछड़ा दलित यानी पसमांदा विरोधी हैं।