रेणुपावर प्राथमिक पाठशाला में मनाया गया वन महोत्सव

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अवधनामा संवाददाता
हिन्दू संस्कृति में वृक्षों को दिया गया भगवान का दर्जा—- आर0पी0 सिंह

सोनभद्र /अनपरा  हिंडालको रेणुसागर पावर डिवीज़न रेणुसागर परिसर स्थित रेणुपावर प्राथमिक पाठशाला विद्यालय में वन महोत्सव महाकुम्भ सप्ताह के अन्तरगत विद्यालय में वन महोत्सव का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत विद्यालय के बच्चों ने पर्यावरण गीत के माध्यम से सन्देश देते हुए पौधे के महत्व के बारे में सुन्दर प्रस्तुति दी। इस अवसर रेणुसागर पावर डिवीज़न रेणुसागर के यूनिट हेड आर0पी0 सिंह, विद्यालय प्रबन्धक शैलेश विक्रम सिंह,विद्यालय की प्रधानाध्यापिका डा0 पूनम वार्ष्णेय,एन० के० पाठक, कर्नल जयदीप मिश्रा व अन्य वरिष्ठ अधिकारियो ने विद्यालय परिसर में विभिन्न प्रकार के फलदायी पौधों का पौधरोपण किया।

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित यूनिट हेड आर0पी0 सिंह ने वृक्षो के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति का भी वनों के साथ काफी गहरा नाता है। हमारे ऋषि मुनि भी शांति और एकांत की तलाश में वन में रहते थे। हमारी प्राचीन परंपरा से हमें वक्षों की पूजा करना एवं व्रत रखना और जल चढना सिखाया जाता है। प्राचीन समय में गुरूकुल भी जंगल में ही हुआ करते थे क्योंकि शिक्षा लेते समय मन को एकाग्रता और शुद्ध वातावरण प्राप्त हो। हिन्दू संस्कृति में भी वृक्षों को भगवान का दर्जा दिया गया है। अंत में उन्होंने पर्यावरण को संतुलित बनाये रखने के लिए अधिक से अधिक पौधरोपण करने का आवाहन किया, तथा बच्चो को नसीहत देते हुए कहा कि अपने जन्म दिवस पर एक – एक पौधा जरूर लगाए। इसी क्रम में विद्यालय प्रबन्धक शैलेश विक्रम सिंह ने वन महोत्सव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस महाकुम्भ वन महोत्सव के सप्ताह में लाखो पौधे लगाए जाते है मगर कुछ ही पौधे बच पाते है। लोग पौधे तो लगा लेते है परन्तु उनकी देखभाल नहीं करते है। पौधे लगाने के संग उनकी देखभाल करना भी ज़रूरी होता है। बिना पानी और देखभाल के पौधे जीवित नहीं रहते है। हमे गंभीरता पूर्वक इस मुहीम के साथ शामिल होकर अपना कर्त्तव्य निभाना चाहिए। उन्होंने विद्यालय के अध्यापको व बच्चो से ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण कर उसकी देखभाल करने की अपील की ।

क्रार्यक्रम को सफल बनाने में बबिता त्रिपाठी, मो0 उनीब खान , मंजू पाण्डेय ,शैलेन्द्र कुमार सिंह , के0के0 तिवारी , सीमा श्रीवास्तव , अनुपम पाण्डेय का सक्रिय योगदान रहा, क्रार्यक्रम का संचालन गायत्री भारद्वाज ने किया !

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