40 मेडिकल कॉलेजों की मान्यता खत्म

0
216

नेशनल मेडिकल कमीशन के तय स्टैंडर्ड फॉलो नहीं करने पर एक्शन, 100 और कॉलेजों पर खतरा

नई दिल्ली। नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के तय किए गए स्टैंडर्ड का पालन नहीं करने पर पिछले दो महीनों में देश के करीब 40 मेडिकल कॉलेज मान्यता गंवा चुके हैं। तमिलनाडु, गुजरात, असम, पंजाब, आंध्र प्रदेश, पुडुचेरी और पश्चिम बंगाल में करीब 100 और मेडिकल कॉलेजों पर भी ऐसी ही कार्रवाई की जा सकती है।
एनएमसी ने एक महीने से अधिक समय तक किए गए निरीक्षण के दौरान इन मेडिकल कॉलेजों में कई खामियां पाईं। सीसीटीवी कैमरे, आधार से जुड़ी बायोमेट्रिक एटेंडेंस प्रोसेस और फैकल्टी रोल में खामियां मिली हैं।
ये कॉलेज सही कैमरा लगाने और उनके कामकाज सहित अन्य स्टैंडर्ड फॉलो नहीं कर रहे थे। बायोमेट्रिक सुविधा ठीक नहीं थी। कई डिपार्टमेंट्स में फैकल्टी पोजिशन की पोस्ट खाली मिलीं।
2014 में 387 मेडिकल कॉलेज थे, अब 654
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 2014 के बाद से मेडिकल कॉलेजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है। स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने फरवरी में राज्यसभा को बताया था कि देश में 2014 में 387 मेडिकल कॉलेज थे, लेकिन अब 69 प्रतिशत इजाफे के साथ इनकी संख्या 654 हो चुकी है।
इसके अलावा, एमबीबीएस सीटों में 94 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है जो वर्ष 2014 के पहले की 51,348 सीट से बढ़कर अब 99,763 हो गई हैं। पीजी सीटों में 107 प्रतिशत की वृद्धि हुई है जो साल 2014 से पहले की 31,185 सीट से बढ़कर अब 64,559 हो गईं हैं। देश में अब 22 अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान हैं हैं जिनकी संख्या 2014 में सात थी।
30 दिन के भीतर अपील कर सकते हैं
सूत्रों ने कहा कि मेडिकल कॉलेजों के पास अपील करने का विकल्प है। एनएमसी में 30 दिनों के भीतर पहली अपील की जा सकती है। अगर अपील खारिज होती है तो वे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से संपर्क कर सकते हैं।
दिसंबर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई की चेतावनी दी थी जो नियमों का पालन नहीं करते हैं या उचित फैकल्टी नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा था कि हमें स्टूडेंट्स को क्वालिटी एजुकेशन देना है, हमें अच्छे डॉक्टर तैयार करने हैं।
डॉक्टर्स की संख्या बढ़ाने के लिए कोशिश
राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार ने पहले मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाई और इसके बाद एमबीबीएस की सीटें बढ़ाई हैं।
देश में मेडिकल सीटों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा किए गए उपायों और उठाए गए कदमों में जिला/रेफरल अस्पतालों को अपग्रेड करके नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए एक केंद्र सरकार की योजना शामिल है। जिसके तहत स्वीकृत 157 में से 94 नए मेडिकल कॉलेज पहले से ही कार्यरत हैं।
मेडिकल एक्सपट्र्स ने कहा- डॉक्टरों के काम के घंटे तय नहीं होते
मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द करने पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मेडिकल एक्सपट्र्स ने कहा कि एनएमसी काफी हद तक आधार से जुड़ी बायोमेट्रिक उपस्थिति प्रणाली पर निर्भर है, जिसके लिए यह केवल उन फैकल्टी पर विचार करता है जो सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक दिन के समय ड्यूटी पर होते हैं।
एक विशेषज्ञ ने कहा कि डॉक्टरों के काम के घंटे तय नहीं होते हैं। उन्हें इमरजेंसी और नाइट शिफ्ट में भी काम करना पड़ता है। इसलिए काम के घंटे को लेकर एनएमसी की सख्ती ने इस मुद्दे को पैदा किया है। मेडिकल कॉलेजों के लिए ऐसा सूक्ष्म प्रबंधन व्यावहारिक नहीं है और एनएमसी को ऐसे मुद्दों के प्रति लचीला होना चाहिए।
एक अन्य विशेषज्ञ ने कहा, एनएमसी कमियों को मानते हुए मेडिकल कॉलेजों की मान्यता रद्द कर रहा है। एनएमसी ने ऐसे कॉलेजों में छात्रों के पंजीकरण की भी अनुमति दे दी है, जो कि विरोधाभासी है।
इसके अलावा, इस तरह के प्रयोग से वैश्विक स्तर पर भारत की छवि धूमिल हो रही है क्योंकि भारत डॉक्टरों का सबसे बड़ा सप्लायर है और ऐसे मामले सामने आने से दुनिया का भारतीय डॉक्टरों पर से विश्वास उठ जाएगा।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here