तथा कथित ऐतिहासिक बैठक

0
3890

एस. एन. वर्मा

विपक्ष एकता के लिये बिहार के नीतीश और तेजस्वी यूपी आये और कांग्र्रेस के साथ इस विषय को लेकर बात की जिसे वहां पर जुटे अन्य विपक्षी नेताओं ने ऐतिहासिक कहा। पहले तो यह साफ जा़हिर है कि भाजपा से अकेली विपक्षी पार्टियों ने अपनी हार पहले ही स्वीकार कर ली। तब भाजपा के खिलाफ मिलजुल कर लड़ने की बात चली और दो तीन मोर्च सक्रिय हुये पर परवान नहीं चढ़ सका। एक तो केन्द्रीय नेतृत्व की ललक सब में टकराहट पैदा कर देती है। पर इस बार खरगे के घर पर कई विपक्षी नेता एकत्रित हुये। इसलिये कांग्रेस सहित विपक्षी नीतीश काफी उत्साहित दिखे।
आम चुनाव को लेकर गम्भीर चर्चा हुई और रणनितिक मुद्दो पर बात हुई। एकता के लिये दो स्तर पर काम होगा। यूपीए के घटक दलों से जिनके रिश्ते कांग्रेस के बेहतर है कांग्रेस उनके नब्ज टटोलेगी। ऐसे दल जिन्हें कांग्रेस का साथ पसन्द नहीं है ऐसे दलों से नीतीश बात करेगे। नीतीश अलग अलग राज्यो में सक्रिय दलो और नेताओं से भी बात कर सबको एक मंच पर लाने की जिम्मेदारी निभायेगे। अपनी विफलता से आहत शेष विपक्षी दल अब एक साथ आने का मन बना रहे है।
कांग्र्रेस अभी तक अपने नेतृत्व को लेकर विपक्षी दलों से तालमेल नहीं बैठा पा रही थी पर अब सोनिया ने एक लेख में कहा है कांग्रेस समान विचारधारा वालो के साथ चलने को प्रतिबद्ध है। नितीश कुमार पहले भी एकता का प्रयास कर खामोश हो गये थे। वजह थी कि कुछ विपक्षी दल कांग्रेंस का साथ नही रहना चाहते थे। नीतीश का मानना है बिना कांग्रेस विपक्षी एकता का कोई मतलब नहीं है। खुद कांग्रेसी नीतीश की कोशिशों को तवज्जों नही दे रहे थे। राहुल की संसदी छीनने के बाद कई विपक्षी पार्टियां एक साथ आई। पर इसी बीच शरद पवार का अडानी को लेकर विपक्ष के जेपीसी की मांग के खिलाफ उनका बयान आया कि जब सुप्रीम कोर्ट ने जांच के लिये विशेषज्ञों की एक समिति बना दी है तो जेपीसी के जांच का कोई मतलब नहीं है। पवार के बयान को लेकर विपक्ष से बती कोई तीखी प्रतिक्रिया नहीं आई। शरद पवार ने भी कहा यह उनकी राय जो भी है वह विपक्ष के साथ है। जेपीसी को लेकर विपक्षी पार्टियो ने एका दिखाया। इस छोटे से हवा के झोके के बाद विपक्षी दल सूझ बूझ दिखाते हुये नजदीक आ गये। उनकी एकता दिखने लगी। पर्दे के पीछे भी एकता बनाये रखने के प्रयास होते रहे है। टीएमसी और आप पार्टी जो अब तक के विपक्षी एकता से अपने को अलग रक्खा था। वे भी विपक्ष के करीब आ गये। नीतीश कुमार अभी तक विपक्ष की उदासीनता को लेकर खामोश बैठे गये वे फिर से सक्रिय हो गये।
दिल्ली आकर पहले लालू प्रसाद यादव से मिले फिर कांग्रेस अध्यक्ष खरगे से इस दिशा मे ंबात की। इसी बीच शरद पवार का विपक्ष के लिये उत्साहवर्धक बयान आ गया कि हालाकि वह जेपीसी से असहमत है पर बाकी दलों के रूख को दिखते हुये वे विरोध नहीं करेगे। इन हालातों के बीच सम्भावना बन रही है कि शायद इस बार विपक्षी एकता कोई स्वरूप लेले अगर बीच में कोई अप्रत्याशित बाधा न आ जाये। क्योकि भाजपा भी अपने हदबन्दी में खामोश तो नहीं रहेगी। रणनीति में भाजपा का जवाब नहीं है। खैर यह तो बाद में पता चलेगा। फिलहाल विपक्ष में मोटी सहमति बनते दिख रही है सूक्ष्म बाते आगे तय होगी। कर्नाटक राजस्थान मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव होने है इसके नतीजे कांग्रेस पर भारी असर डालेगे और विपक्षी एकता को भी प्रभावित करेगे। अगर इन राज्यों में कांग्रेस का प्रदर्शन सन्तोषजनक रहता है तो स्वाभाविक है विपक्षी एकता के केन्द्र में आ जाये। अभी तो सब कुछ कयास है। नीतीश की भी कुछ महत्वकांक्षा होगी।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here