भारतीय नववर्ष वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिक ऊर्जा का अजस्र स्रोत : डा.अखंड प्रताप

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। नव संवत्सर के उपलक्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के ललितपुर नगर के स्वयंसेवकों ने पूर्ण गणवेश मैं उपस्थित होकर के सर्वप्रथम संघ संस्थापक परम पूजनीय डा.केशव बलिराम हेडगेवारजी के जन्मदिन के उपलक्ष पर आद्य सरसंघचालक प्रणाम किया गया। इस अवसर पर विभाग प्रचारक डा.अखंड प्रताप का पाथेय प्राप्त हुआ। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 6 उत्सवों में वर्ष प्रतिपदा साल का पहला उत्सव है जो चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को मनाया जाता है। इसके अलावा हिंदू साम्राज्य दिवस, गुरु पूर्णिमा, रक्षाबंधन, विजयदशमी और मकर सक्रांति संघ की ओर से मनाया जाने वाले उत्सव है। उन्होंने बताया की आदिकाल से हिंदू समाज इन त्योहारों को मनाता आ रहा है। संघ ने इन्हें मनाना इसलिए शुरू किया। ताकि इन त्योहारों के जरिए लोग अपने महापुरुषों और समाज के प्रति जागरूक होकर राष्ट्रीयता की भावना हो आत्मसात करें। वहीं, भारतीय नव वर्ष पर संघ के स्वयंसेवक पूर्ण गणवेश पहनकर आद्य सरसंघचालक प्रणाम कर संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार को याद करते हैं। ये प्रणाम वर्ष में केवल एक बार वर्ष प्रतिपदा के दिन ही शाखाओं पर होता है। भारतीय नव वर्ष की शुरुआत चैत्र के महीने से होती है. हर वर्ष चैत्र शुक्ल प्रतिपदा पर भारतीय नववर्ष मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन सृष्टि की रचना भी हुई थी। इसी दिन भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक भी हुआ था। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होने वाला, हमारा नववर्ष, नवसंवत्सर वैज्ञानिक एवं आध्यात्मिकता की दृष्टि से परिपूर्ण है, सृष्टिकर्ता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना इसी दिन से प्रारंभ की थी। आज ही के दिन संघ के संस्थापक परमपूज्य डा.केशव राव बलिराम हेडगेवार का जन्मदिन भी है प्राकृतिक परिवर्तन एवं शक्ति साधना से प्रारम्भ होकर सम्पूर्ण सृष्टि में अजस्र शक्ति स्रोत प्रवाहित होता है। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण विश्व आज भी भारतीय नववर्ष की वैज्ञानिकता को स्वीकार किया है। दुनिया के देश अपना वित्तीय वर्ष इसी दिन से प्रारंभ करते हैं, उन्होंने विद्वानों आचार्यों शिक्षकों एवं जनपद वासियों से अनुरोध किया कि नववर्ष को पर्व महोत्सव की तरह मनाते हुये अपने घर पर भगवा ध्वज,एवं वन्दन वारा लगाकर शंख नाद कर नववर्ष का अभिनन्दन करें में सबसे प्राचीन और वैज्ञानिक हैं, उन्होंने वाराह मिहिर,आर्यभट्ट, रामानुजन जैसे महान् गणितज्ञों की काल गणना का उल्लेख करते हुए कहा कि, काल गणना में अ_ाइसवी चतुयुगी में 28वा कलियुग चल रहा है जिसके अनुसार 1 अरब 95 करोड 58 लाख 85 हजार 125 वां कल से नववर्ष से प्रारम्भ होगा। वर्तमान कलियुग का 5125वा वर्ष शुरू होगा। वही महाराजा विक्रमादित्य के शासनारूढ काल से 2080वां सम्वत् प्रारंभ होगा। उन्होंने भारतीय युवा वर्ग को भारतीय नववर्ष नव संवत्सर से परिचित कराते हेतु बताया कि सनातन धर्म दुनिया का सबसे पुराना धर्म है बाकी धर्म इसके बाद ही आए हैं उन्होंने बताया कि किस तरह मुगल तथा अंग्रेजों नेभारतीय संस्कृति एवं भारतीय इतिहास को तोड़ मरोड़ कर पेश किया गया जो इतिहासकार कभी भारत आए ही नहीं उन्होंने भी भारत के इतिहास के बारे में लिखा तथा भारतीय संस्कृति एवं इतिहास को नष्ट करने का प्रयास किया। उन्होंने बताया कि 2025 में संघ का शताब्दी वर्ष हैं। इस अवसर पर जिला संघचालक श्रीमान रमेश सोनी, नगर संघचालक जितेंद्र वैद्य, जिला कार्यवाह आशीष चौबे, नगर कार्यवाह विवेक, सह जिला कार्यवाह मनीष, नगर प्रचारक अरुण, विभाग कार्यकारिणी सदस्य सज्जन शर्मा, हाकम सिंह, अरविंद सोनी, प्रताप गुप्ता, अवधेश नामदेव, भरत, रामकुमार, सूरत सिंह परमार, सुबोध गोस्वामी, हर्ष नामदेव, विनोद शर्मा, छक्कीलाल साहू, श्रीनारायण पांडे, अमन, राजेंद्र, सत्येंद्र जैन, रमन सरदार, गिरीश साहू, बृजेंद्र सिंह, सहित नगर के सभी शाखाओं के स्वयंसेवक उपस्थित रहे।

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