अवधनामा संवाददाता
घर-घर पहुंचकर टीमें रोगियों को कर रहीं चिन्हित
3.62 लाख लोगों में तलाशे जा रहे टीबी रोगी
मीडिया वार्ता में दी गई जानकारी
बांदा। देश को वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त बनाने के संकल्प को साकार करने के लिए हर स्तर पर प्रयास जारी हैं। जनपद में क्षय रोगियों की खोज के लिए घर-घर टीम पहुंच रही है। यह अभियान जनपद में 4 मार्च तक चलेगा। अभियान के दौरान अगर टीम किसी के दरवाजे पर पहुंचती है तो उसे सही जानकारी प्रदान करें, ताकि क्षय रोगियों का चिन्हीकरण करके उसका इलाज कराया जा सके और जिले को क्षय मुक्त बनाया जा सके। यह बातें मीडिया से बातचीत के दौरान जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. संजय कुमार शैवाल ने कहीं।
डीटीओ ने बताया कि जिले की लक्षित 3.62 लाख आबादी में टीबी के लक्षणों की जांच की जाएगी। अभियान के दौरान कुल चिन्हित गांवों के 72500 घरों में क्षय रोगियों की खोज के लिए 145 टीमें बनाई गई हैं। हर टीम में तीन सदस्य हैं। इनकी निगरानी के लिए 29 सुपरवाइजर हैं। टीम के निरीक्षण में लक्षण मिलने पर सर्वे टीम उसी समय व्यक्ति के बलगम का नमूना लेकर जांच के लिए भेजेंगी। रोग की पुष्टि होने पर दो दिन के भीतर व्यक्ति का उपचार शुरू हो जाएगा। यदि व्यक्ति में रोग की पुष्टि होती है तो सर्वे टीम को 600 रुपये की प्रोत्साहन राशि भी दी जाएगी ।
जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रदीप वर्मा ने बताया कि क्लोज कैंपस में अभियान 20 फरवरी से लेकर 23 फरवरी तक चलाया गया था। इस दौरान मदरसा, मंडल कारागार नवोदय विद्यालय व वृद्धाश्रम में जांच की गई थी। कारागार में एक टीबी व एक एचआईवी पाजिटिव मरीज चिन्हित किया गया है।
इनसेट-
इलाज के लिए जिले में उपलब्ध सुविधाएं
बांदा। जिले में कुल 11 टीबी यूनिट हैं। 23 माइक्रोस्कोपिक सेंटर हैं जहां बलगम की जांच होती है। 23 लेड माइक्रोस्कोप है, एक सीबीनाट व चार ट्रूनाट मशीन हैं। चार बेड का डीडीआरटीबी सेंटर है। वर्तमान समय में जिले में कुल 1846 क्षय रोगी हैं। सभी को निक्षय पोषण योजना के तहत 500 रुपये उनके खाते में दिए जा रहे हैं।