अवधनामा संवाददाता
आजमगढ़। फाइलेरिया मुक्ति अभियान के अंतर्गत बुधवार को स्वास्थ्य विभाग की टीम ने फराशटोला स्थित आजमगढ पब्लिक स्कूल के बच्चों व अघ्यापकगण को रोग के फैलने के कारण और निवारण के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि यह अभियान 10 से 27 फरवरी तक चलेगा। उन्होंने बताया इस अभियान को सफल बनाने के लिए आंगनबाड़ी की आशा बहुएं घर-घर जाकर दवाइयां खिलाने का कार्य करेंगी।
स्वास्थ्य विभाग की टीम के पीसीआई के एमपी सिंह ने बताया कि यह रोग असाध्य है। यह रोग मादा मच्छर क्यूलेक्स के काटने से होते है। यह रोग दस साल बाद उभरता है। इससे बचने के लिए अपने आस-पास सफाई का विशेष ध्यान दें। सोते समय मच्छरदानी और मच्छर की अगरबत्ती का प्रयोग करें। लोगों को इस रोग से बचाने के लिए सरकार ने इस अभियान को चलाया है। जिसके अंतर्गत लोगों को अलवेंडाजोन, डीईसी और आइबर मैटिन की दवा खिलाई जाएगी। इससे फाइलेरिया रोग से बचाया जा सकता है। प्रदीप मिश्रा ने बताया कि इस रोग को हाथी पाव रोग या पिलपाव रोग कहा जाता है। इस रोग की जानकारी के लिए ब्लड की जांच के लिए रात में खून का सेंपल लिया जाता है। यह भी बताया कि इस रोग की दवा को पांच साल से उपर के बच्चों को खिलाया जाएगा। इस बात से भी सचेत किया कि इस दवा को गर्भवती स़्त्री और गंभीर रोग से पीड़ित लोगों को नहीं खिलाना चाहिए। कहा कि जागरूकता से ही हम अपने आप को और अपने बच्चों को बचा सकते है।