ठंड से ठिठुरने के लिए मजबूर स्कूली बच्चे

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अवधनामा संवाददाता हिफजुर्रहमान

मौदहा हमीरपुर। कहने के लिए तो सरकार ने शिक्षा का अधिकार कानून लागू कर दिया है जिसके चलते कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को किताबें, बस्ता,मध्याह्न भोजन(मिडडेमील) और जूते मोजे, ड्रेस और स्वेटर सरकार की ओर से दिए जाते हैं।लेकिन ऐसी ठंड में भी विकास खण्ड के विद्यालयों में पढने वाले लगभग तीन हजार बच्चों को स्वेटर, ड्रेस और जूते मोजे के पैसे नहीं मिल सके हैं।जिसपर शिक्षा विभाग के जिम्मेदार या तो अभिभावकों या तकनीकी खराबी की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं।
मौदहा विकास खण्ड में मौजूदा समय कुल 179 विद्यालय संचालित हो रहे हैं जिनमें एक कस्तूरबा आवासीय और दो एडेड विद्यालय भी सम्मिलित हैं।उक्त सभी विद्यालयों में लगभग 23 हजार छात्र छात्राएँ अध्ययनरत हैं।शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के साथ ही परिषदीय विद्यालयों में पढने वाले बच्चों को निशुल्क किताबें, जूते मोजे,ड्रेस, स्वेटर और मध्याह्न भोजन भी सरकार की ओर से दिया जाता है।हालांकि पहले जूते मोजे, ड्रेस और स्वेटर स्कूल में ही बांटे जाते थे लेकिन इस साल से सरकार ने जूते मोजे,ड्रेस और स्वेटर के पैसे 11,00₹ सीधे बच्चों के खाते में भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।जिसके चलते लगभग तीन हजार से अधिक बच्चों के खाते में पैसा नहीं पहुंचने से बच्चे बिना स्वेटर के ठंड में ठिठुरते हुए स्कूल आने के लिए मजबूर हैं।इस सम्बंध में खण्ड शिक्षा अधिकारी रामगोपाल ने बताया कि विकास खण्ड में कुल 108 प्राथमिक विद्यालय,39 उच्च प्राथमिक विद्यालय,29 कम्पोजिट(संविलयन)विद्यालय और दो एडेड विद्यालय जबकि एक कस्तूरबा आवासीय विद्यालय संचालित है।जिनमें लगभग 23 हजार छात्र छात्राएं अध्ययनरत है।साथ ही बताया कि बीस हजार छात्र छात्राओं के खाते में जूते मोजे और ड्रेस के पैसे पहुंच गए हैं जबकि लगभग एक हजार बच्चों के खातों में तकनीकी खराबी के चलते पैसे नहीं पहुंचे हैं जिस पर काम चल रहा है और जल्द ही उनके खातों में भी जूते मोजे ड्रेस और स्वेटर के पैसे पहुंच जायेंगे।

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