शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करता है एड्सः अशोक कुमार

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अवधनामा संवाददाता

बांदा। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा निर्देशन पर जन शिक्षण संस्थान, बांदा द्वारा विश्व एड्स दिवस कार्यक्रम का आयोजन प्रशिक्षण केन्द्र बंगालीपुरा, बादा में किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि बोर्ड ऑफ मैनेजेमेन्ट उपाध्यक्ष अशोक कुमार त्रिपाठी एवं बादा मेडिकल कालेज से परामर्शदाता श्रीमती कल्पना सिंह व जागृति सेवा संस्थान, के अध्यक्ष जावेद हाशमी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में संस्थान के निदेशक मो0 सलीम अख्तर ने बताया कि आज हम लोग संक्षिप्त मे इस पर चर्चा करेगें। प्रत्येक वर्ष 01 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इसका उददेश्य लोगो को इस भयावह बीमारी के प्रति जागरूक करना है आमतौर पर यह असुरक्षित यौन सम्बंध बनाने व एचआईवी वाले व्यक्ति के सम्पर्क में आये इंजेक्शन या उपकरण को साझा करने से फैलता है। मेडिकल कालेज की परामर्शदाता श्रीमती कल्पना सिंह जी ने कहा कि एचआईवी एक तरह का वायरस है जो इग्लैण्ड से आया है उन्होने एड्स का पूरा नाम बताया गया एक्वायर्ड इम्यूनो डिफिसिएन्सी सिंड्रोम है। जो हमारे खून मे जाकर सफेद रक्त कोशिकाओं को नष्ट कर देता है दुनियाभर के किसी भी देश में एड्स का इलाज मौजूद नही है। इस भयावह बीमारी से संक्रमित होने के बाद व्यक्ति एक के बाद एक अन्य बीमारियों के चपेट मे आता है। जागृति सेवा संस्थान, के अध्यक्ष श्री जावेद हाशमी जी ने कार्यक्रम के दौरान बताया कि विश्व एड्स दिवस 1988 से विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मनाया जाता है इसमें समानता एवं जागरूकता से एड्स पर काबू पाया जा सकता है। मुख्य अतिथि अशोक कुमार त्रिपाठी जी द्वारा बताया गया कि विश्व एड्स दिवस प्रतिवर्ष 01 दिसम्बर को मनाया जाता है। इसका उददेश्य दुनियाभर के लोगो को इस भयावह बीमारी से जागरूक करना है। यह वायरस शरीर के रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर देता है जिसके चलते व्यक्ति एक के बाद एक बीमारी से ग्रसित होता जाता है। यदि शुरूआती स्टेज में इसका इलाज करवा लिया जाए तो व्यक्ति काफी हद तक इस बीमारी से बच सकता है, वही अंतिम स्टेज पर पहुॅचने के बाद इसका कोई इलाज नही है। कार्यक्रम अधिकारी श्री संजय कुमार पाण्डेय जी ने कार्यक्रम मे बताया कि विश्व एड्स दिवस को मनाये जाने का मुख्य दो कारण, पहला दुनियाभर के लोगो को एचआईवी के खिलाफ लडाई में एक साथ लाना और दूसरा एचआईवी से ग्रस्त लोगो का समर्थन करना। इसके अलावा एड्स से मरने वालो को भी इस दिन याद किया जाता है और इस खतरनाक बीमारी के खिलाफ लोगो को जागरूक किया जाये। कार्यक्रम अधिकारी श्री सौम्य खरे जी द्वारा बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्थानीय अधिकारियों, अर्न्तराष्टीय संगठनो के बीच सूचना साझा करने के बढावा देने के लिये 01 दिसम्बर 1988 को विश्व एड्स दिवस की स्थापना की। कार्यक्रम के अन्त में संस्थान द्वारा पूर्व प्रशिक्षित 40 प्रशिक्षणार्थियों को प्रमाण पत्र वितरण किया गया। उक्त कार्यक्रम में संस्थान के कार्यक्रम समन्वयक नीरज कुमार श्रीवास्तव, लेखाकार लक्ष्मीकान्त दीक्षित, सहा0 कार्यक्रम अधिकारी मंयक सिंह, क्षेत्र सहायिका शिवांगी द्विवेदी, नीरज कुशवाहा, अनुदेशिका श्रीमती अतीका बेगम, कु0 निदा जबी, सहित 60 लोग उपस्थित रहे।

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