अब बंगाल में हिजाब पर बवाल

0
110

हावड़ा। पश्चिम बंगाल के हावड़ा के एक सरकारी स्कूल में हिजाब और भगवा स्कार्फ को लेकर दो छात्र गुटों के बीच जमकर मारपीट हुई। विवाद इतना बढ़ गया कि स्?कूल में चल रही परीक्षा रद्द करनी पड़ी। हावड़ा के धूलागढ़ में तनाव के बाद रैपिड एक्शन फोर्स की तैनाती की गई है।
इससे पहले जनवरी में कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद को शुरू हुआ था। यहां उडुपी में 6 मुस्लिम छात्राओं को हिजाब पहनने के कारण कॉलेज में क्लास रूम में बैठने से रोक दिया गया था। कॉलेज मैनेजमेंट ने नई यूनिफॉर्म पॉलिसी को इसकी वजह बताई थी।
मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक मंगलवार को कुछ छात्राएं हिजाब पहनकर परीक्षा देने पहुंची थीं। तभी दूसरे छात्रों के ग्रुप ने इसपर आपत्ति जताई और उन्हें परीक्षा के दौरान इसे न पहनने के लिए कहा। इसके बाद कुछ हिंदू छात्रों ने भगवान शिव के ग्राफिक्स वाली टी-शर्ट और भगवा स्कार्फ पहनकर विरोध जताना शुरू कर दिया।
हिंदू छात्रों की मांग थी कि जैसे दूसरे ग्रुप की लड़कियों को हिजाब पहनने की अनुमति दी गई है, ठीक वैसे ही उन लोगों को भगवा स्कार्फ के साथ अंदर जाने की परमिशन दी जाए। इसका एक मुस्लिम लड़की ने विरोध किया और कहा कि ये स्कूल यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है तो इन लड़कों ने पूछा कि उसने हिजाब क्यों पहना है। इसके बाद दोनों पक्षों के लड़के और लड़कियों के बीच बहस और उसके बाद मारपीट शुरू हो गई।
स्कूल मैनेजमेंट का निर्देश- यूनिफॉर्म में स्कूल आना होगा
मामला इतना बढ़ गया कि छात्रों ने स्कूल में तोडफ़ोड़ शुरू कर दी। जब टीचर्स ने उन्हें रोकने की कोशिश की, तो उन्हें भी धकेल दिया गया। जिसके बाद परीक्षाएं भी स्थगित कर दी गईं। रिपोर्टस के मुताबिक एक 11वीं के छात्र ने बताया कि स्थिति ऐसी हो गई थी कि माना जा रहा है कि कहीं स्कूल मैनेजमेंट प्री-बोर्ड सहित सारी परीक्षा रद्द न कर दें।
बंगाल के मुर्शिदाबाद में हिजाब को लेकर हुआ था विवाद
इससे पहले पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में स्थित एक हाई स्कूल की छात्रा को टीचर ने हिजाब और बुर्का पहनकर आने से मना कर दिया था। छात्रा के परिजनों और स्थानीय लोगों को जब ये बात पता चली तो उन्होंने स्कूल में जमकर तोडफ़ोड़ की। मामले की जानकारी के बाद पहुंची पुलिस ने काफी मशक्कत के बाद स्थिति पर काबू पाया गया।
कर्नाटक सरकार ने इस विवाद के बाद एक आदेश जारी किया है। इसमें कहा गया कि छात्रों को कॉलेज डेवलपमेंट कमेटी की ओर से जारी ड्रेस कोड का पालन करना होगा।
प्राइमरी एंड सेकेंडरी एजुकेशन मिनिस्टर बीसी नागेश ने कहा कि कर्नाटक एजुकेशनल एक्ट 2013 और 2018 के तहत बनाए गए नियमों ने शैक्षणिक संस्थानों को छात्रों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने का अधिकार दिया है।
शिक्षा विभाग ने इन नियमों के आधार पर एक सर्कुलर जारी किया है और छात्रों से अपील की है कि जब तक इस मामले में हाईकोर्ट का फैसला नहीं आ जाता, तब तक वे कॉलेजों द्वारा निर्धारित यूनिफॉर्म नियमों का पालन करें।
हालांकि कॉलेजों में डेस कोड अनिवार्य नहीं है, लेकिन कॉलेज डेवलपमेंट कमेटियां अक्सर स्थानीय विधायकों की अध्यक्षता में उडुपी और अन्य जिलों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने सहित एक ड्रेस कोड लागू करने पर जोर देती रही हैं।
वहीं, हाईकोर्ट में याचिका दायर करने वाले छात्रों का कहना है कि 2021-22 की एकेडमिक गाइडलाइंस में प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों के लिए कोई यूनिफॉर्म तय नहीं की गई है। उनका कहना है कि गाइडलाइंस में यहां तक कहा गया है कि अगर कोई कॉलेज यूनिफॉर्म तय करता है तो उसके खिलाफ विभाग सख्त कार्रवाई करेगा।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here