हर्षोल्लास के साथ मनाया गया दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा विश्व दर्शन दिवस

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अवधनामा संवाददाता

लखीमपुर खीरी युवराज दत्त स्नातकोत्तर महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र विभाग द्वारा विश्व दर्शन दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर प्राचार्य प्रो० हेमन्त कुमार पाल की अध्यक्षता में दर्शन की प्रसांगिकता विषय पर विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में विषय प्रवर्तन करते दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ० सुभाष चन्द्रा ने बताया कि विश्व दर्शन दिवस प्रत्येक दिवस नवम्बर माह के तीसरे गुरूवार को ऐसे सभी दार्शनिकोंए वैज्ञानिकों और चिंतकों के सम्मान में मनाया जाता है जिन्होंने सम्पूर्ण विश्व को स्वतंत्र विचारों के लिए स्थान उपलब्ध कराया है। दर्शन दिवस मनाये जाने का उद्देश्य दार्शनिक दृष्टिकोण को साझा करने के लिए विश्व के सभी लोगों को प्रोत्साहित करना है और साथ ही समसमायिक समस्याओं और चुनौतियों के समाधान के लिए स्वतंत्र दार्शनिक विमर्श को बढ़ावा देना है। दार्शनिक चिंतन के द्वारा ही मनुष्य ने महान खोजों आविष्कारोंए रचनात्मक उपलब्धियों तथा न्यायए प्रेम तथा बन्धुता की भावना को सम्भव बनाया है। इस अर्थ में दर्शन सार्वभौमिक अभिव्यक्ति है। विचार गोष्ठी में एसो0 प्रोफेसर डॉ० एस० के० पाण्डेय ने दर्शन के विविध पक्षो पर प्रकाश डालते हुए समस्याओं के समाधान के रूप में दार्शनिक दृष्टिकोण को विश्व शान्ति के लिए आवश्यक बताया। शिक्षक शिक्षा विभागाध्यक्ष डॉ० विशाल द्विवेदी ने दर्शन के शास्त्रीय और व्यवहारिक पक्षों पर विस्तृत चर्चा करते हुए बताया कि दार्शनिक चिंतन ने प्रकृति में अन्तर्निहित समेकित व्यवस्था और शाक्तियों के विभिन्न आयामों को स्पष्ट कर क्रमबद्ध एवं सुव्यवस्थित आधार प्रदान किया है। दर्शन वास्तव में आत्मावगति है। अंग्रेजी विभाग की एसो0 प्रोफेसर डॉ० नीलम त्रिवेदी ने अंग्रेजी साहित्यकार ब्राउनी की कविताओं का उद्धरण देते हुए कहा कि दर्शन सकारात्मक चिंतन है जिससे अनुप्राणित होकर मनुष्य अपनी शक्ति को नव निर्माण एवं लोक कल्याण में लगाता है। छात्र ध् छात्रायें व्यवस्थित अध्ययन प्रणाली अपनाकर स्वतंत्र एवं दार्शनिक चिंतन करने का जीवन में अभ्यास करें। वाणिज्य विभागाध्यक्ष डॉ० डीण्एनण् मालपानी ने दर्शन से सम्बन्धित अवधारणाओं का सरलीकृत करते हुए बताया कि स्वतंत्र चिंतन मानवीय गरिमा तथा विश्व स्तरीय संस्कृति को बढ़ावा देता है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिकए वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन यूनेस्को द्वारा दर्शन दिवस के अवसर पर इसके लिए प्रतिवर्ष क्षेत्रीयए राष्ट्रीय तथा अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर दुनिया के सभी देशों को अपनी दार्शनिक विरासत एवं स्वतंत्र चिंतन को साझा करने के लिए प्रोत्साहित करता है। विचार गोष्ठी में दर्शनशास्त्र के छात्र अनुज कुमार एवं शीतल शाक्या ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। विचार गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य प्रो० हेमन्त कुमार पाल ने कहा कि सभ्यता के प्रारम्भ से ही दर्शन विद्यावान लोगों के बीच विशेष अभिरूचि का विषय रहा है। वैश्विक संदर्भ में मानव भौतिकए जैविकए मानसिकए नैतिक और अध्यात्मिक शक्तियों का समन्वित रूप है। आज आवश्यकता है कि मनुष्य में इन सम्यक शक्तियों का विकास हो। समय की गति के अनुकूल दार्शनिक चिंतनए सिद्धान्तों और मूल्यों के वैचारिक आदान प्रदान से मनुष्य के अदंर छिपी शक्तियों का उत्तरोतर परिमार्जन किया जाता रहा है। वास्तव में जीवन दर्शन एवं संस्कृति एक दूसरे के पूरक हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के शिक्षक डॉ० सत्यनामए डॉ० ज्योति पंतए मनोज कुमारए विनोद कुमार सिंहए विजय प्रताप सिंहए मो० नजीफए सौरभ वर्माए दीपक कुमार बाजपेई सहित दर्शन शास्त्र विषय के स्नातक एवं परास्नातक छात्र ध् छात्राओं के साथ.साथ बड़ी संख्या में अन्य कक्षाओं के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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