हाइकोर्ट और तहसील प्रशासन के बीच फंसा पंचायत भवन निर्माण

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अवधनामा संवाददाता

कुशीनगर। योगी सरकार द्वारा भू-माफियाओं के खिलाफ चलाये जा रहे एंटी भू-माफिया अभियान जनपद मे छलावा साबित हो रहा है। इसकी एक बानगी जनपद के तमकुहीराज तहसील क्षेत्र में देखने को मिली है। यहा के हफुआ चतुर्भुज गांव मे पंचायत भवन के लिए चिन्हित भूमि पर भू- माफियाओं ने अवैध कब्जा कर मामले को न्यायालय मे पहुचा दिया है। नतीजतन वर्षों से पंचायत भवन निर्माण का मामला अधर मे लटका हुआ है जो चर्चा का विषय बना हुआ है।
काबिलेगौर है कि हफुआ चतुर्भुज गांव मे पंचायत भवन के निर्माण के लिए लेखपाल द्वारा बीते वर्ष भूमि चिन्हित किया गया था। बताया जाता है कि उस भूमि पर गांव के कुछ लोगो ने अवैध कब्जा कर आधा- अधूरा निर्माण कार्य भी करा लिया है। चर्चा- ए-सरेआम है कि   यह भू-माफिया सरकारी जमीन से बेदखल न हो इस लिए तहसील प्रशासन के कार्रवाई से पूर्व न्यायालय मे याचिका दाखिल कर पंचायत भवन निर्माण को अधर मे लटका दिया है। महत्वपूर्ण बात कि तहसील प्रशासन यह जानते हुए कि चिन्हित पंचायत भवन की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जा है जबकि पूरा तहसील प्रशासन यह जानता है इसके बावजूद धृतराष्ट्र बना बैठा है। कहने वाले तो यहा तक कहते है कि तहसील प्रशासन के अन्दरूनी सहयोग व सहमति से ही पंचायत भवन के भूमि पर अवैध कब्जा जमाये बैठे अबैध कब्जाधारी न्यायालय की ओर रुख किये है ताकि न्यायालय मे मामला लंबित रहे और अबैध कब्जाधारियो का कब्जा बरकरार रहे। बताना जरूरी है कि बीते वर्ष दिसम्बर माह मे सेवरही विकास खण्ड क्षेत्र के हफुआ चतुर्भुज गाँव में ब्लॉक एवं तहसील प्रशासन ने मौके का निरीक्षण किया फिर लेखपाल ने रिपोर्ट तैयार किया कि उक्त ग्राम सभा में कोई अन्य जमीन उपलब्ध नहीं होने के कारण खलिहान की भूमि पर पंचायत भवन के  निर्माण के लिए भूमि चयनित किया जाता है। इसके बाद पहले से अबैध कब्जा कर कुण्डली जमाये बैठे कब्जाधारी हाईकोर्ट पहुँच गए। इस पर  हाईकोर्ट ने कहा कि खलिहान की भूमि पर  पंचायत भवन निर्माण किये जाने पर सवाल उठाते हुए डीएम कुशीनगर को मामले की जांच करने के लिए निर्देशित किया। अब सवाल यह उठता है कि ज खलिहान की भूमि पर पंचायत भवन नहीं बन सकता तो फिर  भूमि का चयन किस आधार पर किया गया। फिर लेखपाल ने  खलिहान की भूमि पर पंचायत भवन निर्माण कराने की रिपोर्ट क्यो प्रेषित की। लेखपाल की रिपोर्ट पर एसडीएम ने क्या कार्रवाई किया। ऐसे मे कहना लाजिमी होगा कि लेखपाल के गलत रिपोर्ट और अवैध कब्जा के कारण पंचायत भवन का निर्माण एक वर्षों से लटका हुआ है। प्रधान प्रतिनिधि चंदन ठाकुर का कहना है कि लगभग एक वर्ष होने को आए। अब तक लगभग चार लाख करीब रूपये बर्बाद हो गया लेकिन कोई निष्कर्ष नहीं निकलने के वजह से गाँव का विकास कार्य रूका है। इधर अवैध कब्जाधारी अभी भी सरकारी भूमि पर अबैध तरीके से कुण्डली मारकर बैठा है।
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