जीवन में हार मानना ही डिप्रेशन है: मुनिश्री

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अवधनामा संवाददाता

ललितपुर। अभिनंदनोदय तीर्थ क्षेत्र क्षेत्रपाल मंदिर ललितपुर में धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए मुनि सुधासागर महाराज ने कहा कि पुरूषार्थ करने के बाद भी सफलता नहीं मिले तो धबराना नहीं लगातार सम्यक पुरूशार्थ करते रहना एक दिन सफलता जयत तुम्हारे कदम चूमेगी। कोशिश करने वाले की कभी हार नहीं होती। महाराजश्री ने चींटी का उदाहरण देते हुए कहा कि चीटी दीवार पर चढने की कई वार कोशिश करती रहती है गिरती है फिर चढती है वार वार गिर कर पुन: कोशिश करती है और अन्तत मंजिल पा ही लेती है। उन्होंने अपनी क्षमता को वढाने और साहस को मत खोते हुए आगे वढने को कहा। मुनिश्री सुधासागर महाराज ने कहा कि संसार के सभी जीव असफल होने एवं धैर्य न होने पर आज की पीढी डिप्रेशन का शिकार हो रही है। उन्होंने कहा कि जीवन में हार मानना ही डिप्रेशन है अवसाद है। आंतरिक कमजोरी डर और भय हमें संसार में वढने नहीं देता है। कमजोर को दुनिया डराती है इसलिए वार वार पुरूषार्थ करो डरो मत थको मत रूको मत आगे वढते चलो क्यों कि पुरूषार्थ किस्मत की लकीरें बदल देता है। निराशा हमें पतन की ओर ले जाती है और आशा में मंजिल पर पहुॅचा देती है। इसलिए निराशावादी नहीं आशावादी बनो। जब तक चीज तुम्हारे वश में है तब तक पुरूषार्थ करो घवराओ मत अंत तक लडने की क्षमता विकसित करो। मेहनत के बाद भी मंजिल न मिली तो दिल में सुकून तो रहता है कि आखरी समय तक पुरूषार्थ किया। हमें उदासी नहीं घेरती, यह हार भी हमें रूलाती नहीं है और अंतत: मंजिल पाने को प्रेरित करती रहती है और एक दिन हम मंजिल को पा ही लेते हैं इसलिए पुरूषार्थ करो किस्मत की लकीरें मत देखो।

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