बाहरी किराएदारों द्वारा कालोनियों मे फैलाई जा रही अराजकता
मौदहा हमीरपुर।कस्बे की तीन कांशीराम कालोनियों मे हो चुके बडे अपराधों से भी साशन और प्रशासन ने सबक नहीं लिया है जिसके चलते कालोनियों में रह रहे बाहरी किराएदारों द्वारा कालोनियों में लैंगिक अपराधों के साथ ही साथ जुआ, शराब, मादक पदार्थों की तस्करी के साथ ही छेड़खानी करने जैसी घटनाएं होना आम बात हो गई है जो कभी भी बड़े अपराध में बदल सकती हैं।
कस्बे में पिछली सरकारों द्वारा मीरातालाब के निकट, छिमौली रोड और आईटीआई कालेज के निकट तीन स्थानों पर गरीबों को निशुल्क पक्के मकान देने के उद्देश्य से कालोनियों का निर्माण कराया था लेकिन कालोनियों के आवंटन के समय से ही अपात्रों को आवास आवंटित करने के मामले को लेकर राजस्व विभाग और नगरपालिका के जांच कर्मियों पर भेदभाव पूर्ण तरीक़े से जांच कर पात्रों को नजरअंदाज करते हुए अपात्रों को आवास आवंटित करने के सवाल उठने लगे थे।और कुछ हद तक सत्यता भी यही है।
जिसके चलते ऐसे लोगों को आवास योजना का लाभ दिया गया था जिनके पास पहले से ही पक्के मकान बने हुए थे जिसके चलते योजना का लाभ पाए लगभग 60% लाभार्थियों ने अपने आवासों में न रहकर आवासों को बाहरी लोगों को किराए पर उठाना शुरू कर दिया था।और उसके साथ ही कस्बे में अप्रत्याशित रूप से अपराधों का ग्राफ भी बढने लगा। जिसमें कस्बे की कांशीराम कालोनियों में वाले अपराधों का प्रतिशत भी अच्छा खासा है।और समलैंगिक संबंधों के साथ ही अपहृत को बंधक बनाकर रखने का कस्बे का पहला मामला भी कालोनी में ही दर्ज किया गया था।
कस्बे की कांशीराम कालोनियों में बाहरी लोगों के रहने के कारण अराजक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है जिससे कालोनियों में रह रहे गरीब आमजन को परेशानी होती है इतना ही नहीं अगर कोई गरीब इस मामले में आवाज उठाता है तो दबंगों और अराजक तत्वों द्वारा उसका उत्पीड़न कर उसकी आवाज दबा दी जाती है अन्यथा झूठे मुकदमे में फंसा दिया जाता है।
इतना ही नहीं कस्बे की कांशीराम कालोनियों में जुआ के फड,शराबियों का जमावड़ा और गांजा तस्करी आम बात है जबकि महिला उत्पीड़न के साथ ही छेड़खानी के मामलों में भी कालोनियों का रिकॉर्ड बेहतर है इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि कस्बे के साथ साथ क्षेत्र के गांवों के युवकों द्वारा लडकीयो को भगाकर कालोनियों में रखना सबसे सुरक्षित जगह समझा जाता है क्योंकि कालोनियां एक हजार रुपये से दो हजार रुपये किराए पर आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
इसके पहले भी कालोनियों मे अपहरण, हत्या, अवैध कब्जे, छेड़खानी, समलैंगिक संबंध सहित अन्य बडे अपराध हो चुके हैं जिनमें से अधिकांश का सम्बंध कालोनियों में रहने वाले बाहरी लोगों से ही रहा है।यदि पुलिस विभाग, डूडा विभाग और नगरपालिका ने समय रहते बाहरी लोगों की जांच कर कठोर कार्यवाही नहीं की तो बहुत जल्द कालोनियों से बडे अपराधों की आहट सुनाई दे सकती है जिसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी तीनों विभागों की होगी।इस सम्बंध में अधिशासी अधिकारी नगरपालिका सुशील कुमार दोहरे ने बताया कि इस सम्बंध में जांच नगरपालिका और पुलिस द्वारा की जा रही थी लेकिन मोहर्रम के साथ ही कुछ बड़े आयोजनों के चलते जांच प्रक्रिया में विलंब हो गया है लेकिन जल्द ही जांच प्रक्रिया तेज कर कार्यवाही की जाएगी।जबकि डूडा अधिकारी सुधीर सिंह ने बताया कि अगर ऐसा कोई मामला है तो नगरपालिका में शिकायती पत्र दिया जा सकता है उसके बाद जांच की जाएगी।
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