एस.एन.वर्मा
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1034 करोड़ के पात्रा चाल घोटाले के सन्दर्भ में शिवसेना के प्रमुख नेता उद्धव ठाकरे के करीबी संजय राउत को ईडी ने नौ घंटे छापेमारी के बाद गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले ईडी ने कई समन जारी किये गये थे। उन्हें 27 जुलाई को बुलाया गया था। पर न तो किसी समन का जवाब दिये न खुद आये। इससे पहले ईडी ने राउत से नौ घन्टे पूछताछ की पर वह जांच में सहयोग नही करते थे न किसी सवाल का जवाब देते थे। सुबह सात बजे ईडी के 20 अधिकारी उनके घर पहुचे उनसे सवाल करते रहे पर वह किसी का जवाब नही दे रहे थे। तब ईडी उन्हें गिफ्तार कर अपने कार्यालय ले आयी। यहां भी पूूछताछ जारी है। जैसा कि हर राजनेता कहता है मुझे जानबूझ कर फंसाया जा रहा है। मुझे बदनाम किया जा रहा है। उनका कहना है मेरा किसी घोटाले से कोई लेना देना नहीं है। यह मै शिवसेना प्रमुख बाला साहेब ठाकरे की शपथ लेकर कह रहा हॅॅू। झूठे सबूत है। मै शिवसेना नही छोडूगा झुकुगा नही यही हिम्मत उन्हें जांच में दिखानी चाहिये। जब उन्होंने कुछ किया नही तो ईडी बिना सबूत के उनपर केस क्यों चलायेगी अगर चला देगी भी तो साबित नही कर पायेगी। फिर वह जांच के डर से भाग क्यों रहे है। जांच में सहयोग क्यों नही कर रहे है। जो हिम्मत बयान देने में दिखा रहे है वही हिम्मत जांच में दिखा कर सहयोग करें। शालीनता से जांच का सामना करे। निर्दोष होगे तो जनता खुद ही जय जयकार करेगी। राजनैतिक हास्तियां जांच से क्यों डरती है और बहाने बनाती है। क्या अपराध के शक में जांच न की जाय। सोना तप के निखरता है, अगर बेगुनाह है तो जांच से बरी होने पर उन्हें सम्मान और इज्जत ही मिलेगी।
जांच का प्रकरण इस प्रकार है कुछ लम्बा भी है। मुम्बई के गुरूगांव में एक चाल के पुनः विकास रीडेवलपमेन्ट को लेकर है। सिद्धार्थनगर पात्र चाल के नाम से जाना जाता है जो गुरूगांव में ही यहां 47 एकड़ में 672 घर है। 2008 में महाराष्ट्र हाउसिंग एन्ड एरिया डवलमेन्ट अथरिटी ने इसे ले लिया और इस प्रोजेक्ट को पुनः विकास के लिये गुरू आशीश कन्सट्रक्शन प्राइवेट कम्पनी को ठेके पर दे दिया। जो 622 किरायेदारों को सुधार बाद में फिर से उन्हें बसायेगा। चौदह साल बीत गये अभी तक घरों के लिये इन्तजार ही हो रहा है। त्रीपक्षी समझौते के अनुसार जीएसीपीएल 672 किरायेदारों को फ्लैट मुहैया कराना था। बाकी को प्राइवेट डेवल पर को बेचने की छूट थी।
ईडी का कहना है प्रवीन राउत सजय राउत को करीबी सहयोगी और दूसरे गुरूकन्स्ट्रक्शन के डायरेक्टरों ने एमएचएडीए को गलत जानकारी दी। फ्लोर स्पेस इन्डेक्स के नौ प्राइवेट डेवलवपर्स को बेच दिया और 9071 करोड़ रूपये प्राप्त किये। न तो इन्होंने 672 उजड़े लोगो के फ्लैट बनाये और न एमएचएडीए का हिस्सा बनवाया। इसके बाद जीएसीपीआई ने मीडोज प्रोजेक्ट चलाया। बुकिंग के नाम पर 138 करोड़ इक्ट्ठा किया। ईडी के अनुसार गुरूआशीश कन्स्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड ने गलत तरीके से कुल 1039.71 करोड़ इकट्ठी किये जो जुर्म है।
ईडी के अनुसार प्रवीन राउत ने 100 करोड़ रीयल इस्टेट कम्पनी हाउसिंग डेवलपमेन्ट और इनफास्ट्रक्चर लि0 से प्राप्त किये। इस पैसे को अपने करीबियों और सेजय राउत के परिवार में डायवर्ट किया। ईडी का कहना है 2010 में उस पैसे में से 83 लाख संजय राउत की पत्नी वर्षा राउत के नाम ट्रान्सफर किया गया। जिससे उन्होंने दादर में फ्लैट खरीदा। इसके अलावा आठ प्लाट रिवम बीच पर वर्षा राउत और स्वप्ना राउत के नाम खरीदा गया।
समझौते के अनुसार डेवलपर को कब्जेदारों को हर महीने किराया देना था जब तक प्राजेक्ट पूरा नही हो जाता। किराया केवल 20.4.15 तक दिया गया। किराया ने अदा करने को लेकर एमएएचएडीए ने डेवलपर को टर्मीनेशन नोटिस जारी किया। डेवलपर कोर्ट चले गये। प्रोजेक्ट रूका हुआ है 672 कब्जेदार लटके हुये है।
महाराष्ट्र सरकार ने प्रोजेक्ट को लेकर एक कमेटी बनाई। जो इसका हाल निकाले। अनुशंसा के अनुसार पात्र चाल का रीडेवलपमेन्ट फिर शुरू किया गया। सरकार ने प्रोजेक्ट तुरन्त पूरा करने के निर्देश दिये। भवन के बाकी 306 फ्लैट लाटरी वालो को देने का निर्णय हुआ। एमएएचएडीए खुद इस प्रोजेक्ट को उद्धव ठाकरे के निर्देश पर पूरा करने में जुट गया है।