राष्ट्रपति की खोज खत्म हुई

0
103

 

एस.एन.वर्मा
मो.7084669136

 

एनडीए ने द्रोपदी मुर्मू को और विपक्ष ने यशवन्त सिन्हा के राष्ट्रपति पद के लिये चुनाव के मैदान में उतारा। इससे पहले भाजपा की कोशिश थी की विपक्ष को विश्वास में लेकर सबकी सहमति से कोई एक उम्मीदवार उतारा जाये। पर विपक्ष से सहमति नहीं बन पाई। विपक्ष ने साझा उम्मीदवार के रूप में फारूख अबदुल्ला, शरद पवार और गोपाल कृष्ण गांधी के मनाने की कोशिश की पर सभी जानते है लड़ाई प्रतीकात्मक है, एनडीए के पास बहुमत है इसलिये उन तीनो ने विनम्रनापूर्वक इनकार कर दिया। यशवन्त सिन्हा भाजपा के पुराने नेता रहे है। आईएएएस की सेवा छोड़कर राजनीति में आये और अटल बिहारी वाजपेयी के सरकार में सम्मानित और प्रभावशाली मंत्री रहे। बाद में भाजपा के छोड़ उसके आलोचक बन गये। हाल में टीएमसी की सदस्यता ली। चुनाव लड़ने के लिये टीएमसी की सदस्यता छोड़ स्वतन्त्र उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ेगे।
एनडीए उम्मीदवार द्रोपदी मुर्मू का जन्म उड़ीसा के मयूरमंज भेजे जिले के सन्थाल में हुआ था। भूवनेश्वर के रामादेवी कालेज से आर्टस की डिग्री ली। क्लकी से कैरियर की शुरूआत की। इसके बाद टीचर बनी। कौन्सिलर के रूप में राजनीति की शुरूआत की। दो टर्म एमएलए रही। फिर नवीन पटनयक सरकार में मंत्री रही। इसके बाद झारखन्ड का राज्यपाल बनी।
भाजपा को एआईएडीएम के का सपोर्ट प्राप्त है, बीजू पटनायक भी एनडीए के पक्ष में है। इसलिये यदि कुछ अप्रत्यशित नही घटा तो द्रोपदी मुर्मू चुना जाना तय है। देश को पहला राष्ट्रपति आदिवासी नहिल के रूप में 18 जुलाई को मिलेगा।
हालाकि बिहार के जेडीयू सरकार से भाजपा का सम्बन्ध कुछ तनावपूर्ण चल रहा है। पर नितीश ने एनडीए उम्मीदवार का समर्थन किया है। इसलिये भाजपा के लिये अब कोई अवरोध नही रह गया है। मोदी जी के आदिवासियों और दलितो प्रति लगाव को मुर्मू की उम्मीदवारी रेखाकित करती है। इसका फायदा भाजपा पश्चिम बंगाल के उस इलाके में मिलेगा जहां दलित और आदिवासियों का बहुल्य है। मोदी ने पूरी देश में दलित आदिवासी और महिलाओ को प्रति मुर्मू को चुनकर अपना सन्देश फैलाया है। आने वाले असेम्बली और पार्लियामेन्ट चुनाव में मोदी का दलित, आदिवासी और महिला को दिया गया सन्देश उनके पक्ष में काम करेगा। दरसल मोदी ने एक पत्थर से कई निशाने साधे है। विपक्ष श्रीहीन ही दिखेगा।
64 वर्षीय मुर्मू का प्रशासनिक अनुभव लम्बा है। एक तो टीचर और क्लर्क से कैरियर शुरूआत कर राजनीति में आई। ग्रासरूट का ज्ञान उनके काम आ रहा है। राजनीति की कई सीढ़ियां उन्होंने पार की है। 1997 में रंगपुर नगर पंचायत में क्रौन्सिलर रही। इसी साल भाजपा शेडयूल्ड टूाईव मोर्चा का वाइस प्रसिडेन्ट बनी। फिर उसी साल मयूर मज जिला का प्रेसिडेन्ट बनी। तात्पर्य यह की नीचे के सीढ़ियो से ऊपर चढी है और सेल्फ मेड महिला है। मुर्मू की जिन्दगी को कुछ अप्रिय झटके भी लगे है। उन्हें पति सहित दो बच्चों का गम सहना पड़ा है।
मुर्मू ने अपने को समाज और राजनीति की सेवा में समर्पित कर अपने निजी मसलो को भुलाया है। गरीबो, कुचले लोगो दुखी लोगो के दर्द को बाटा है और उनकी आर्थिक मदद भी की है। कहते है दुख आदमी को माजपा है। इसकी वह जीती जागती उदाहरण है। कैरियर की छोटी छोटी सीढ़ियां पर करते हुये उन्होंने अपनी काबलियत को निखारा है, प्रशासनिक क्षमता को निखारा है। छोटे से छोटे पद का और बड़े से बड़े पद के अनुभवों ने उन्हें हर क्षेत्र में सफल बनाया है। इसी की नतीजा है कि अब वह देश के सर्वोच्च पद पर पहुचने वाली है। उम्मीद है अपने व्यक्तित्व सेव ,प्रशासनिक क्षमता का छाप यहां भी छोड़ेगी।
भाजपा की अगुवाई बाली एनडीए का इलेक्ट्रोलर कालेज में जो मामूली कमी है उसे क्षेत्रीय पार्टियां की मदद से पूरा कर लेगी। उसे बीजेडी के नवीन पटनायक, वाईएसआरसीपी के मोहन रेड्डी का सहयोग प्राप्त है। उड़ीसा और आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का सहयोग प्राप्त है। मुर्मू के चुने जाने की औचरिकता बाकी है। मुर्मू को सफल कैरियर के लिये बधाई।

 

 

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here