जिन हाथे में किताब होनी चाहिए उन हाथो से पिलायी जा रही जाम 

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अवधनामा संवाददाता (शकील अहमद)

चिन्ताजनक तस्वीरें : नशे की कारोबार में मासूम
सड़को के किनारे घड़ा व बोतलो में भर कर ताड़ी लिये रहते ये मासूम बच्चे
कुशीनगर। आज जिन बच्चो के हाथो में किताब होनी चाहिये उन हाथो से अब जाम पिलायी जा रही है। यह सोचने पर भले ही अटपटा हो लेकिन यह सच्चाई है कुशीनगर जनपद की है, जहां मासूम बच्चे सड़को के किनारे बोतले रखकर ताड़ी बेचते नजर  आ रहे है। हैरत की बात यह  है कि आबकारी विभाग इसे छोटा मामला समझकर इस ओर से आंखे मूंदे बैठा है।
बता दें कि इस देश का एक मंत्रालय और हजारों स्वयंसेवी संस्थाएं बच्चो के सुधार के नाम पर अनेको कार्यक्रम चलाती है विश्व बैक से करोड़ो रूपये का बजट बच्चो के सुधार कार्यक्रमो के लिये आता है लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि यह पैसा जरूरतमंद बच्चो तक पहुंच ही नही पाता है जिससे मजबूरी बस ये बच्चेे स्कूली शिक्षा को छोड़ परिवार की रोजी-रोटी के जुगाड़ में लग जाते है जिससे इन बच्चो का भविष्य तो अंधकारमय हो ही रहा है साथ ही देश के विकास का भार ढोने वाले कंधे भी खोखले हो रहे है। नशे के इस कारोबार में छोटे ही नही बड़े लोग भी बराबर के गुनहगार है बड़ी दुकान वाले बच्चों से ताड़ी बिकवाते है और बाद में उन्हे कुछ मेहनताना देकर टरका देते है। ये तस्वीरे उन विभागों और स्वयंसेवी संस्थाओ पर करारा तमाचा है जो इन बच्चो के बेहतर भविष्य के योजनांए बनाती एंव संचालित करती है जब ऐसे बच्चे नशे के कारोबार में लगे है तो इस देश का भविष्य क्या होगा यह सोचने की बात है।
छोटा मामला समझकर विभाग नही करता कार्रवाई
जिला आबकारी अधिकारी इसे बहुत छोटा मामला मानते है। आपको बताते चले की आबकारी विभाग द्वारा ताड़ी के पेड़ो और इसे बेचने के लिये भी बाकायदा लाइसेंस जारी किया जाता है जिससे विभाग को लाखो रूपये का राजस्व मिलता है बावजूद इसके आबकारी विभाग को इसकी जानकारी तक नही है। हालांकि कि आबकारी विभाग का कहना है बड़े पैमाने पर ताड़ी की खेती करने वाले लोगों को लाइसेंस देने की प्रक्रिया है।
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