(आलम रिज़वी)
लखनऊ। पुराने लखनऊ में जगत नारायण रोड़ पर आलीशान मक़बरे के खंडहर दिखाई देते हैं। मकबरे में हकीम मेहदी दफ़्न हैं। मोहल्ला’#मेहदीगंज इन्हीं के नाम से बसा हुआ है. नवम्बर 1832 तक वे बादशाह #नसीरुद्दीनहैदर के वज़ीर रहे। मक़बरा बेहद शानदार बना हुआ था और इसमें पांच गुम्बद बने थे। इस मकबरे का निर्माण इनके भतीजे अहमद अली ख़ां ‘मुनव्वरुद्दौला’ ने करवाया था। 80 के दशक तक यह मक़बरा ठीक था। मेरे बचपन के कई साथी यहां रहते थे। 2010 में मकबरे का एक हिस्सा ज़मींदोज हो गया। ASI ने आज तक इस मक़बरे की कोई सुध नहीं ली। लखनऊ के शिया समुदाय (इतिहास विद -जागरूक नागरिकों ने ) व केंद्र व प्रदेश सरकार के क़रीबियों ने इस ओर देखा ही नहीं।