खदान संचालक कैसे भरे राजस्व , जब बिचौलिये ही करेगे ब्लैकमेल ~

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अवधनामा संवाददाता

लगातार ब्लैकमेलिंग से परेशान खदान संचालको ने अपना दुखडा रोया ~~~~~
बाँदा।  जनपद मे चल रही मौरंग खदानों पर इन दिनो शनी की काली छाया मंडरा रही है , कुछ छुटभैये ग्रामीणों के रहनुमा बनकर खदान संचालको पर अनावश्यक दबाव बनाकर खदान संचालकों से अभद्रता करके डराते धमकाते हैं ।
अभी ताजा मामला मरौली के खंडो का है जहां गैर जनपदो से   मठाधीश आकर भोले भाले ग्रामीणो को बहला फुसलाकर या शराब मांस का सेवन करवाकर उनकी नदी के किनारे की जमीनो को कौडी के दाम देकर मौरंग खदान संचालको से भारी भरकम रकम ऐंठते हैं और जब कोई खदान संचालक उनकी बातो मे नही आता है तो उस पर अनावश्यक दबाव बनाकर ग्रामीणो को अपनी ढाल के रूप मे सामने खडा करके मोटी रकम वसूलने का काम कर रहे हैं ।
मरौली मे इसके पूर्व भी कई बार किसानो का और मौरंग खदान संचालको का विवाद हो चुका है जिसका फायदा अन्य जनपदो से आये हुये बिचौलिये उठा रहे हैं ।
यह बिचौलिये उन्ही किसानो को पकडते है जिनका खेत खदान संचालको के रास्ते मे पडते हैं फिर उन ग्रामीणो को बहला फुसलाकर अक्सर विवाद करवाते है और फिर स्वयं उस विवाद को समाप्त करवाकर किसानो की नजरो मे हीरो बनकर खदान संचालको को ब्लैकमेल करके भारी भरकम रकम उगाहते हैं , कई बार तो यह किसानों की जमीन की मौरंग भी खुदवाकर स्वयं ही मौरंग खंड संचालको को ऊंचे दाम मे बेच देते हैं जिससे किसान दोनो ओर से मारे जा रहे हैं ।
जबकि खंड संचालको का कहना है कि हमने सरकार से मौरंग खनन का पट्टा लिया है जिसका राजस्व भी लगातार दे रहे हैं और जब रास्ते से गाडियां ही नही निकलेगी तो हम राजस्व कहां से देगे , एक तरफ सरकार को राजस्व दे दूसरी तरफ किसानो को रास्ते का पैसा दे फिर बिचौलियो को भी पैसा दे इतना पैसा देने से अच्छा है कि हम खदान ही सरेंडर कर दें ।
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