स्वामी तुरीयानन्द महाराज का मनाया अवतरण दिवस

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Celebrated the incarnation day of Swami Turianand Maharaj

अवधनामा संवाददाता

सहारनपुर (Saharanpur)। सिद्धपीठ श्री श्री 1008 स्वामी तुरीयानंद सत्संग सेवा आश्रम परिसर में आज श्री श्री 1008 स्वामी तुरीयानन्द महाराज का 146वां अवतरण दिवस श्रद्धा व हर्षाेल्लास के साथ मनाया गया।

स्थानीय मण्डी समिति रोड कृष्णानगर स्थित आश्रम मंे आज गद्दीनशीन स्वामी विवेकानंद गिरि महाराज ने अपने प्रवचनों के माध्यम से बताया कि संकल्प सबके पास है, फिर हम उन्हें विकल्प बनायें या श्रेष्ठ संकल्प बनायें। इस तरह कर्म करने की सभी में क्षमता है कि हम उन्हें विकर्म बनाये या श्रेष्ठ कर्म, यानि आकर्म बनाये यह हम पर निर्भर करता है। ज्ञान में आने का अर्थ कर्म सन्यास नहीं है, बल्कि अपने कर्म प्रयास से विकल्पों को श्रेष्ठ संकल्प में बदलकर विकर्मों को श्रेष्ठ बनाना है। उन्होंने गीता के तीसरे अध्याय के पांचवें श्लोक के विषय में बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को प्रकृति से अर्जित गुणों के अनुसार विवश होकर कर्म करना पड़ता है, इसलिए कोई भी जीव एक क्षण के लिए भी बिना कर्म किये नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि देहधारी जीवन का प्रश्न नहीं है, अपितु आत्मा का यह स्वभाव है कि वह सदैव सक्रिय रहता है। आत्मा की अनुपस्थिति में यह भौतिक शरीर हिल भी नहीं सकता। यह शरीर मृत वाहन के समान है, जो आत्मा द्वारा चालित होता है, क्योंकि आत्मा सदा गतिशील रहती है और वह एक क्षण के लिए भी नहीं रूक सकती। इस अवसर पर महाराज श्री ने आये श्रद्धालुओं को आशीर्वाद प्रदान कर निहाल किया। कार्यक्रम में स्वामी तुरीयानंद ट्रस्ट के पदाधिकारीगण एवं सेवादार मौजूद रहे।

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