अवधनामा संवाददाता
प्रयागराज (Prayagraj) : इन दिनो माहे मोहर्रम पर मजलिस मातम के साथ कहीं ज़न्जीरों से पुश्तज़नी कर लोग अपने आप को लहुलुहान कर रहे हैं तो कहीं हाँथो से मातम कर शहीदो का ग़म मनाया जा रहा है।माहे मोहर्रम की पाँचवी को देर रात दरियाबाद स्थित क़दीमी इमामबाड़ा अबुल हसन खाँ मे मजलिस आयोजित कर करबला की सरज़मी पर पैग़म्बरे इसलाम मोहम्मदे मुस्तफा के नवासे हज़रत इमाम हुसैन की अज़ीम क़ुरबानी का ज़िक्र हुआ।ज़ाकिरे अहलेबैत रज़ा हसनैन एडवोकेट ने मजलिस को खेताब करते हुए इमाम हुसैन की शहादत के बाद उनके वफादार घोड़े ज़ुलजनाह की अपने रहवार से उलफत,जाँबाज़ी और वफादारी का तज़केरा किया।मजलिस मे इमाम हुसैन पर यज़ीदी लशकर द्वारा ढ़ाए गए ज़ुल्मो सितम की दास्ताँ सुनाई तो चारो ओर से आहो बुका की सदा गूँजने लगी। लोग सिसकियाँ ले कर ज़ारो क़तार रोने लगे।मसाएब सुन कर हर आँख अश्कबार हो गई।सूती व रेशमी चादर से ढ़के दुलदुल घोड़े पर गुलाब व चमेली के फूलों से सजा कर ज़ुलजनाह की शबीह निकाली गई।ज़ुलजनाह को दूध व जलेबी खिलाकर लोगों ने मन्नते मांगी।अन्जुमन हाशिमया के नौहाख्वान सफदर अब्बास डेज़ी,अब्बास ज़ैदी,अर्शी,अनादिल आदि नौहाख्वानो ने शायर आमिरुर रिज़वी व शायर डॉ क़मर आब्दी का लिखा ग़मज़दा नौहा पढ़ा
अब्बास मर गए अली अकबर जुदा हुआ !
हमसे किसी ने यह भी न पूछा के क्या हुआ !!
नौहे के एक एक बन्द पर लोग आँसू बहाते रहे। अन्जुमन के सदस्यों ने ज़न्जीरों मे जुड़ी तेज़ धार की छूरीयों से पुश्तज़नी कर अपने आप को लहुलुहान कर लिया।वहीं छठवी मोहर्रम पर मुख्तलिफ इमामबाड़ो मे पुरुषों व महिलाओं की अलग अलग मजलिसे हुई।मजलिस मे खाकान सिब्तैन,गौहर काज़मी,हसन नक़वी,नजीब इलाहाबादी,शफक़त अब्बास पाशा,डॉ क़मर आब्दी,ताहिर मलिक,मिर्जा काज़िम अली,सै०मो०अस्करी,सज्जू भाई,शाह बहादर,हुसैन बहादर,ज़ामिन हसन,माहे आलम,शजीह अब्बास,औन ज़ैदी,जौन ज़ैदी,तय्याबैन आब्दी,मुन्तज़िर रिज़वी,शादाब ज़मन,अस्करी,अब्बास,शबीह अब्बास,महमूद आदि शामिल रहे।
रौशन बाग़ से छठवीं मोहर्रम पर नहीं निकला अलम व झूले का जुलूस
रौशन बाग़ इमामबाड़ा मुस्तफा हुसैन से छठवीं मुहर्रम पर ग़ाज़ी अब्बास का दो विशाल अलम ताबूत हज़रत अली अकबर व हजरत अली असग़र के झूले का क़दीमी जुलूस पिछले वर्ष की भांति इस वर्ष भी कोरोना संक्रमण के कारण नहीं निकाला गया।उम्मुल बनीन सोसाईटी के महासचिव सै०मो०अस्करी के मुताबिक़ खुशनूद रिज़वी की क़यादत मे रौशन बाग़ से बख्शी बाज़ार फूटा दायरा तक जाने वाला छठवीं का जुलूस इस बार भी नहीं निकाला गया।इमामबाड़े के अन्दर ही सभी तबर्रुक़ात को सजा कर लोगों को कोविड गाईड लाईन पर शत प्रतिशत अमल करते हुए ज़ियारत कराई गई।
सातवीं मोहर्रम पर नहीं निकलेगा १८३६ मे क़ायम किया गया दुलदुल जुलूस
पान दरिबा स्थित इमामबाड़ा सफदर अली बेग से १८३६ मे क़ायम किया गया दुलदुल जुलूस इस वर्ष भी कोरोना के लगातार बढ़ते प्रकोप व सरकारी गाईड लाईन का अनुपालन करते हुए नहीं निकाला जायगा।दुलदुल जुलूस के संयोजक मिर्ज़ा बाबर,सोहेल,शमशाद,जहाँगीर,मुन्