पत्रकारिता के साथ-साथ समाज सेवा के कार्य में भी हमेशा आगे रहते थे स्व0 मुजीब अहमद सिद्दीकी

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Along with journalism, late Mujeeb Ahmed Siddiqui was always ahead in the work of social service.

अवधनामा संवाददाता (तनवीर सिद्दीकी)

मोहम्मदी-खीरी (Mohammadi-Kheri)– क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार स्व0 मुजीब अहमद सिद्दीकी का जन्म जनपद खीरी की तहसील मोहम्मदी में हुआ था। स्व0 मुजीब अहमद सिद्दीकी ने अपनी शिक्षा दिल्ली के जामिया कालेज से पूर्ण कर वापस मोहम्मदी आ गए। स्व0 मुजीब अहमद सिद्दीकी का ह्रदय गरीबो और मजलूमो पर अत्याचार देखकर बहुत व्याकुल होता था। उन्होने अपना राजनीतिक जीवन कांग्रेस पार्टी से शुरू किया। जिसमें वह नगर अध्यक्ष रहे और कई बार जेल भरो आन्दोलनो में भी शामिल हुए। सन 1992 में जब समाजवादी को जिले में कोई नही जानता था तब उन्होने समाजवादी पार्टी का दामन थामा और मोहम्मदी नगर के प्रथम नगर अध्यक्ष बने उस समय उन्हे अपनी नगर की कमेटी भी पूरी करने के लिये लोग नहीं मिलते थे। सन् 1974 में मुजीब अहमद सिद्दीकी ने रूड़की से प्रकाशित साप्ताहिक समाचार पत्र ग्रामीण जनता से अपनी पत्रकारिता की शुरूआत की। उसके बाद उन्होने दैनिक नवजीवन नवजीवन, निष्पक्ष प्रतिदिन (लखनऊ), वीर अर्जुन, पंजाब केसरी (दिल्ली) नव सत्यम, विश्व मानव (बरेली) तथा 1996 से 2010 तक हिन्दुस्तान में अपनी पत्रारिता की तदुपरान्त डेली न्यूज, कैनविज टाइम्स, वायस आफ लखनऊ, लोकमत व अवधनामा में अप्रैल 2021 तक अपनी कलम का लोहा मनवाया। मुजीब अहमद सिद्दीकी की गिनती जनपद की र्निभीक पत्रकारो में की जाती है। जिन्होने कभी अपनी कलम के साथ समझौता नहीं किया और न यह देखा कि उनकी खबर किसी अधिकारी के विरूद्ध चल रही है या किसी अपराधी के खिलाफ। उन्होने हमेशा गलत को गलत ही लिखा। जिसके चलते एक-दो बार उनके कुछ लोगो द्वारा उन पर जानलेवा हमले भी करवाये गये। फिर भी उन्होने अपनी लेखनी नही छोड़ी। मुजीब अहमद सिद्दीकी पत्रकारिता के साथ-साथ समाज सेवा के कार्य में भी हमेशा आगे रहते। चाहे किसी गरीब की लड़की की शादी हो या किसी गरीब व्यक्ति का इलाज वो खुद से जो बन पड़ता उसके साथ करते अगर कम पड़ता तो वो अपने दोस्तो से चन्दा कर लोगो की मदद करते। हमेशा सादा जीवन जीने वाले मुजीब अहमद सिद्दीकी के दो पुत्र व दो पुत्रियाँ है जिनका विवाह उन्होने अपने जीवन में कर दिया था। मुजीब अहमद सिद्दीकी अपने पुत्रो को भी समाजसेवा करने की हिदायत देते हुए कहते थे कि कभी किसी गरीब का दिल मत दुखाना अगर वो तुमसे कुछ मांगता है तो अगर तुम्हारे पास है तो उसे तुरन्त दे देना कभी यह मत सोचना कि अगर हम इसे दे देंगे तो हमारे पास क्या बचेगा। गरीबो की दुआ ही तुम्हे कामयाबी की ओर ले जायेगी।

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