वकार के कलम की स्याही अवध में कभी खुश्क नहीं होगी

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-पत्रकार वकार रिजवी  कमजोरों के सच्चे नुमाइंदा थे
-पत्रकार वकार रिजवी ने पत्रकारिता को बुलंदी के मुकाम पर पहुंचाया
-पत्रकार वकार रिजवी के जीवन का हर पहलू काबिले तारीफ रहा
-पत्रकार वकार रिजवी पत्रकारिता जगत का एक मजबूत कंधा थे  
अब्दुल कादिर जाफरी “बाग़ी”
पत्रकार और पत्रकारिता को इज्जत देना वकार रिजवी की इज्जत को बुलंदी के मुकाम पर पहुंचाता था। उनका हिन्दी व उर्दू साहित्य प्रेम व उनकी लेखनी किसी परिचय का मोहताज नही थी। मैंने पत्रकारिता सन् 1983 से प्रारम्भ किया कितु वरिष्ठ पत्रकार वकार रिजवी जैसी अजीम शख्सियत के अमीर व्यक्ति को किसी और में नहीं पाया। उनके चेहरे पर हमेशा मुस्कान होना हम सब के हौसले को और मजबूत बनाये रखता था। आज हम सब फख्र करते है कि पत्रकार वकार रिजवी के साथ पत्रकारिता के क्षेत्र में उनकी वाबस्तगी पाया उनके जरिये दिये गए मुहब्बत से सरफराज होते गए और उनकी सरपरस्ती में बेबाक व निडरता के साथ कभी लेखनी को विराम नहीं होने दिया। वरिष्ठ पत्रकार वकार रिजवी खुद मे एक पत्रकारिता के इंस्टीट्यूट थे जो पढ़ाना भी जानते थे और सिखाना भी। आज हम पत्रकारों को उनके जीवन से सीख मिलती है। जब मेरी उनसे पहली मुलाकात सन् 2007 में लखनऊ अवधनामा समाचार पत्र के दफ्तर में एक वार्ता के दौरान हुई तो मै उनकी मुहब्बत, हमदर्दी, भाईचारे को पाकर उनसे दूर नहीं रह पाया। उनका प्रतिभाशाली व्यक्तित्व मुझे उनके पास खींचा चला गया और आलम यह रहा कि उन्हीं के साथ पत्रकारिता क्षेत्र में बगैर रुके अपनी खिदमात को अंजाम देता चला आया। आज उनका मेरे साथ नहीं होना बहुत तकलीफ देता है। जिसकी जीवन मे भरपाई नहीं हो सकेगी। पत्रकार वकार रिजवी के जीवन का हर पहलू काबिले तारीफ थी। उनके जीवन के जिन पहलुओं पर गौर किया जाये, चाहे उनकी लेखनी के जरिये रहे हो या समाज के किसी भी क्षेत्र में, जिन पर भी नजर डाले जाये तो मुतमइन हुए बगैर नहीं रहा जा सकता। वह अपनी लेखनी, वक्तव्य व समाजी कार्यों के जरिये समाज को एक नई दिशा देने का कार्य करते थे। पत्रकार वकार रिजवी की काबिलियत की चर्चा के लिये मेरे पास शब्द कम है। उनकी बेशुमार चर्चाओं में उनका संपूर्ण जीवन आधारित था।
उनके लफ्जों व कलम की लेखनी मे एक जादूगरी के साथ जो उर्दू की मिठास घुली हुई थी वो हमारे लिए प्रेरणा प्रदान करती रहेगी। हमने पत्रकारिता के दायित्वों तथा कर्तव्य पथ पर अड़े रहना वकार रिजवी से सीखा, जो बिना रुके लिखते रहना। उन मजलूम, शोषित, बेसहारों का आवाज बन कर खड़े रहना, जिसका हिंदी व उर्दू दैनिक समाचार पत्र अवधनामा ने बीड़ा उठाया है। आज हर वो एक आम परिवार का वकार रिजवी चला गया जिन वंचितों के न्याय के लिए वह सिस्टम से लड़ा करते थे।
पत्रकार वकार रिजवी के वह सभी यादें मेरे जेहन में आज भी तरों ताजा है, जिस तरह से उन्होंने पत्रकारिता को अपनी लेखनी के जरिये बुलंदी के मुकाम पर पहुंचाने का कार्य किया। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन पत्रकारिता के जरिये समाज के शोषित वर्गो के उत्थान के लिये समर्पित किया और अंत तक लड़ते रहे। जिनकी कही हुई बातो को आज भी हम देख-सुन व समझ सकते है। उनके साथ गुजारे हुए हर लम्हे को याद करते हुए हमारी आंखें नम हो जाती है। आज यकीन नहीं होता कि कलम का सिपाही, हम सबका हबीब व अजीम मोहतरम साथी इस दुनिया से रुखसत हो चला है। जो पत्रकारिता जगत का एक मजबूत कंधा बना हुआ था, जिस पर हम अपनी कलम की निष्पक्ष निब रख कर समाज में फैली विसंगतियों, सिस्टम की विफलताओं, पत्रकारों के मान सम्मान, शिक्षा की गुणवत्ता, स्वास्थ्य सुविधाओं की कमियों, राजनीति के गिरते स्तर जैसी तमाम पहलुओं पर अपनी लेखनी बेबाकी के साथ लिखा करते थे। आज उस कंधे का ना होना वाकई तकलीफदेह है।
पत्रकार वकार रिजवी जैसे बहुत ही कम ऐसे शख्सियत होंगे, जिन्हें कुदरत ने नायाब व हर दिल अजीज बनाया जो अपनी मिठास से हर किसी में रच बस जाने वाला, जो हर किसी के दुख दर्द में शरीक बन जाने वाला था।
आज भी उनका हमेशा मुस्कुराता हुआ चेहरा एक ताकत व मजबूती हमारी लेखनी को देता है। जो बिना रुके निष्पक्ष व निर्भीक पत्रकारिता की विश्वसनीयता को बनाये रखे हुए है।
पत्रकार वकार रिजवी चाहते थे कि मैं लखनऊ मे उनके साथ रहकर अवधनामा के लिये लिखता रहू किन्तु कुछ पारिवारिक जिम्मेदारिया आड़े आने लगी। किन्तु पत्रकार वकार रिजवी ने कभी मुझे अपने से अलग नहीं होने दिया और उन्होंने सन् 2009 में आजमगढ़ उर्दू दैनिक समाचार पत्र अवधनामा का संस्करण प्रकाशित करवाया और मुझे बतौर संपादक/ ब्यूरो प्रमुख के तौर पर आजमगढ़ मण्डल की अहम जिम्मेदारी सौपी। जिसको आज भी पूरी ईमानदारी व सत्यनिष्ठा के साथ मै निर्वहन कर रहा हूं। आज अवधनामा परिवार के सरपरस्त जनाब वकार रिजवी का हम सब के बीच नहीं होना हमारे दिलों को मायूस कर दे रहा है।
वकार रिजवी के साथ गुजरा हुआ हर एक लम्हा यादों के साथ हम सब के दिलों में कैद है। हमारे हर दिल अजीज नामवर कलमकार साथी वकार रिजवी को आजमगढ़ अवधनामा परिवार तहे दिल याद करते हुए उन्हें खिराजे अकीदत पेश करता है और अल्लाह की बारगाह में अपने मरहूम भाई के लिए जन्नतुल फिरदौस में आला मुकाम की से दुआ करता है।

 

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