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कुकुरमुत्तों की तरह शहर भर में चल रहे मानक के विपरीत प्राइवेट नर्सिंग होम, सीएमओ की चुप्पी क्यों ?
कानपुर महानगर में छोटी छोटी दुकानों में बना दिये गये नर्सिंग होम
मानकों को ताक पर रखकर चलाई जा रही हैं मौत की दुकानें
सीएमओ की चुप्पी से शहर में जान से खेलते प्राइवेट अस्पताल प्रबंधक
कुकुरमुत्तों की तरह खुल गये नर्सिंग होम, जिला प्रसाशन बेखबर
कानपुर महानगर| (सर्वोत्तम तिवारी) शहर में कुकुरमुत्तों की तरह नर्सिंग होमों का खुलना और मानक विपरीत धड़ाधड़ चलना क्या दर्शाता है। ऐसी दशाओं में सीएमओ की चुप्पी क्यों? छोटी छोटी जगहों पर या यूं मानों कि छोटी छोटी दुकानों भर की जगह में चिकित्सा सेवायें मुहैया करवाने के नाम पर प्राइवेट नर्सिंग होम खोल दिये गये। जिनमें मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ धड़ाधड़ जारी है।
कानपुर शहर के प्राइवेट नर्सिंग होम मरीजों की जेब में खुलेआम डांका तो डालते ही हैं साथ ही उनकी जान के दुश्मन भी बनते है। और इस अनैतिक कार्य में शहर के कई दिग्गज सरकारी डॉक्टर भी इनका साथ देते हैं।
ये चोर चौकड़ी आपस मे सांठ गांठ करके ऐसा खेल खेलती है कि किसी को भनक तक नहीं लगती।
जानकार बताते हैं कि इन प्राइवेट नर्सिंग होम्स अपने काम्प्लेक्स के अंदर ही मेडिकल स्टोर खोले हुए हैं।
हॉस्पिटल के अंदर भर्ती मरीज के तीमारदारों और परिजनों को यह मजबूरी होती है कि मरीज की सारी दवा वहीं से ली जायेगी। इनके द्वारा मनमाफिक दामों पर बेची जाने वाली दवाओं की कीमत पर मरीज और उसके परिजनों द्वारा जब ऐतराज किया जाता है तो उसके साथ अस्पताल प्रबंधन अभद्रता और झगड़े पर उतारू हो जाते हैं।
कई कई नर्सिंग होम मरीजों की मौतों पर हमेशा विवादों में रहे हैं लेकिन आज तक उनपर कोई कार्यवाही नहीं हुई जिससे इन चिकित्सा माफियाओं के हौसले बुलंद हैं।
कानपुर शहर के जयराम हॉस्पिटल, कबीर हॉस्पिटल, कुबेर हॉस्पिटल, एस.डी. हॉस्पिटल, चंद्रप्रभा, अम्बा हॉस्पिटल, दिव्यांशु, गणेश हॉस्पिटल, साउथ सिटी हॉस्पिटल, प्रिया हॉस्पिटल, एक्सपर्ट हॉस्पिटल सहित कई कुकुरमुत्तों की तरह खुले छोटी छोटी जगहों पर मानक के विपरीत नर्सिग होम रूपी ये मौत की दुकानें खुले आम चलाई जा रहीं।
सोचने वाली बात ये है कि इस खूनी मौत के खेल में केडीए की भी मूमिका संदिग्द है। और पुलिस प्रसाशन को तो यह प्राइवेट नर्सिंग होम मालिक अपना पार्टनर मानते हैं। क्यों अस्पतालों की लापरवाही पर होने वाली मरीजों की मौत के बाद परिजनों द्वारा किया जाने वाला हंगामा खाकी ही कंट्रोल करती है जिसका बाकायदा उनको हिस्सा दिया जाता है।
सवाल ये उठता है कि रत्ती रत्ती भर की जगहों में बड़े बड़े नर्सिंग होम्स का बोर्ड लगाकर मौत बांटने का असली जिम्मेदार कौन ?
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