- चैरी–चैरा शताब्दी समारोह के अन्तर्गत जलियांवाला बाग के शहीदों को किया गया नमन
डीआईओ संदीप कुमार ने कहा कि आज के दिन ब्रिटिश हुकूमत ने आजादी की आवाज को दबाने के लिए लागू रौलेट एक्ट के विरोध में आयोजित शान्ति सभा पर गोलियां चलाकर निहत्थे पुरूषों, महिलाओं एवं बच्चों की नृशंस हत्या कर दी थी। इस जघन्य घटना के लिए आज तक ब्रिटिश सरकार द्वारा माफी न मांगना शर्म की बात है। इस दौरान उन्होंने महावीर प्रसाद ’’मधुप’’ की काव्य रचना…….. ’’आया 13 अप्रैल दिवस फिर लेकर सुधियों की माला’’ का काव्य पाठ किया।
उ0प्र0 राज्य कर्मचारी महासंघ के जिलाध्यक्ष चै0 सुरेन्द्र ने कहा कि 1997 में महारानी एलिजाबेथ ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के शहीदों की स्मृति में बने स्मारक पर श्रद्धांजलि दी। उन्होंने बताया कि 2013 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री डेविड कैमरून ने भी स्मारक पहुॅचकर अपने श्रद्धासुमन अर्पित किये और विजीटर बुक में लिखा कि ’’ब्रिटिश इतिहास की यह एक शर्मनाक घटना थी’’।विकास भवन अध्यक्ष इंजी राकेश शर्मा ने जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड के बारे में बताते हुए शहीद हुए देशभक्तों को नमन किया। कुवंरपाल भंवर ने कविता के माध्यम से इस काण्ड के दोषी जनरल डायर की नीतियों की भत्र्सना की।
गोष्ठी का संचालन करते हुए विकास भवन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष राजेश गौड ने कहा कि इस घटना ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर सबसे अधिक प्रभाव डाला। उन्होंने इसे जघन्य हत्याकाण्ड की संज्ञा देते हुए कहा कि यह घटना ही भारत में ब्रिटिश शासन के अन्त की शुरूआत बनी। उन्होंने बताया कि इस घटना से क्षुब्द होकर युवा क्रांतिकारी ऊधम सिंह ने ब्रिटिश संसद में जाकर जनरल डायर की गोली मारकर हत्या कर दी और जलियांवाला काण्ड में मारे गये निर्दोष लोगों को सच्ची श्रद्धांजलि दी। यह घटना भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज रहेगी।
कार्यक्रम में कर्मचारी नेता मण्डल अध्यक्ष चमन राना, रामअवतार, विजयपाल शर्मा, आशीष चैधरी, सुनील कनौजिया, ऋत्वी शर्मा, डौली, प्रीती, उर्मिला, अंकित सिंह, अरविन्द, अनीता भारद्वाज, पवन कुमार, रामवीर सहित काफी संख्या में कर्मचारी उपस्थित रहे।