अवधनामा संवाददाता
ललितपुर (Lalitpur) सत्य सनातन वैदिक धर्म का प्रचार प्रसार सम्पूर्ण देश में करने का संकल्प लिए आज ललितपुर स्थित राधाकृष्णन इंटर कालेज कचनौदा कलां के बच्चों से धर्म और आध्यत्मिक चर्चा करते हुए आचार्य प्रशान्त शर्मा ने कहा कि प्रायः हम किसी भी व्यक्ति को संन्यासियों वाले वस्त्र पहने हुए बडी बडी जटाऐं, चरणों में खडाऊँ व हाथ में कमंडल धारण किए देखते है तो मन में उसके प्रति यही धारणा बना लेते हैं कि यह व्यक्ति वैरागी है किंतु वह निश्चित् रूप से वैरागी ही होगा,हम ऐसा नहीं कह सकते क्योंकि वास्तव में वैराग्य का अर्थ है मन से सांसारिक वस्तुओं का छूट जाना।
वस्त्रों को देख कर हम किसी का भी ऐसे आँकलन नहीं कर सकते कि इनके मन से संसार मिटा है या नहीं।
परमात्मा को पाने के लिए अन्तर्मन को पवित्र करना होगा। जिस दिन हमने अपने अंदर के विकारों का शमन कर लिए परमात्मा स्वयं हमारा वरण कर लेगा और हम अपने मानव जीवन के अंतिम लक्ष्य मोक्ष को प्राप्त कर लेंगे। इसलिए हम सभी को अपनी मूल प्रवृत्तियों से जीवन जीना चाहिए ।
इस अवसर पर कक्षा 12 की बहिन रानी ने पूछा कि हम अपनी मूल प्रवत्ति को कैसे समझें ? नम्रता ने पूछा कि ईश्वर की प्राप्ति कैसे करें ? उमेश ने पूछा क्या ईश्वर प्राप्ति के लिए सन्यास लेना आवश्यक हैं ? आदि प्रश्नोत्तर के माध्यम से उनकी जिज्ञासाओं को शांत करने का प्रयास किया गया।
इस अवसर पर आर्य समाज महरौनी के मंत्री आर्य रत्न शिक्षक लखन लाल आर्य,शिक्षिका सुमन लता सेन,प्रबंधक महिपाल यादव,सौरभ कुमार सेन शिक्षक,शिशुपाल सिंह यादव,अजय तिवारी,भक्तराज,विजय राजपूत,गौरव नामदेव,गोपाल पाठक आदि विद्यालय परिवार उपस्थित रहां। संचालन प्रबंधक महिपाल यादव एवं आभार शिशुपाल सिंह यादव ने जताया।