अवधनामा ब्यूरो
नई दिल्ली. बीस साल तक भारतीय सेना का हर कदम पर साथ देने वाले जंगी जहाज़ आईएनएस विराट को अब टुकड़ों में तोड़ने का काम किया जा रहा है. गुजरात के भावनगर में इस जहाज़ को तोड़ने का काम दिसम्बर में शुरू किया गया था. इसका पुर्जा-पुर्जा अलग करने में अभी नौ महीने और लगेंगे. गुजरात की अलंग शिपयार्ड के श्रीराम ग्रुप ने इस जंगी जहाज़ को 38 करोड़ 54 लाख रुपये में खरीदा था.
आईएनएस विराट को साल 1987 भारतीय नेवी में शामिल किया गया था. बीस साल के बाद मार्च 2017 में इसे रिटायर कर दिया गया. रिटायर करने के बाद इस जंगी जहाज़ को श्रीराम ग्रुप को बेच दिया गया. समुद्री किनारे से 300 मीटर दूर इसे तोड़ने का काम किया जा रहा है.
इस जंगी जहाज़ को तीस फीसदी काटा जा चुका है. गैस कटर्स के ज़रिये क्रेनों की मदद से इसे इस तरह से काटा जा रहा है कि इसका बैलेंस बना रहे. इसका वज़न और कम होने के बाद इसे खींचकर यार्ड में ले जाया जायेगा. इस जंगी जहाज़ को कबाड़ में बेचे जाने से पहले इसके स्टेयरिंग व्हील को निकाल लिया गया था ताकि उसे यादगार के तौर पर रखा जा सके.
श्रीराम ग्रुप की मानें तो आईएनएस विराट को दिसम्बर से अब तक 300 ट्रेंड वर्कर काटने का काम कर रहे हैं और वह अब तक 30 फीसदी काम ही कर पाए हैं. इन वर्कर्स में कारीगरों से लेकर ट्रेंड वर्कर तक शामिल हैं.
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1987 में भारतीय नेवी का हिस्सा बने आईएनएस विराट को बनाने का काम 1940 में शुरू हुआ था. इस जहाज़ को विशेषज्ञों की देखरेख में काटने का काम इसलिए शुरू किया गया क्योंकि यह माना जा रहा है कि इसमें ओजोन को नुक्सान पहुंचाने वाली खतरनाक धातुएं और गैसें भी हो सकती हैं. किसी भी हादसे से बचने की पूरी तैयारी के साथ इसे काटा जा रहा है. जानकारी मिली है कि आईएनएस विराट की धातु खरीदने में कुछ ऑटोमोबाइल कम्पनियों ने दिलचस्पी ज़ाहिर की है.