आज सोशल मीडिया की विभिन्न ऐपस हमारी रोज़मर्रा जिंदगी में इस कदर प्रवेश कर चुकी हैं कि चाह कर भी हम इन से अलग नहीं हो सकते। एक तरह से आज हमारा जीवन इन के बगैर अधूरा व ना मुकम्मल सा लगता है। दिन की शुरुआत से लेकर रात सोने तक हम इन ऐपस यानी फेसबुक, वॉट्सऐप इनसटागराम ट्विटर मैसेंजर आदि के मक्कड़ जाल में उलझे रहते हैं । सोशल मीडिया की इन विभिन्न ऐपस के चलते भले ही हमें हमारा जीवन सरल, कुशल व आरामदायक लगने लगा हो । लेकिन हम से इन सब के चलते हमारी प्राइवेसी किसी तीसरे के हाथों में चली गई है जिस को जब उसका जीअ चाहे तो किसी अन्य को डेटा की शक्ल में बेच सकता है।
हमारे सामने से अक्सर सोशल ऐपस में तब्दील होने वाले प्रावधानों के संदर्भ में विभिन्न खबरें आती रहती हैं लेकिन हम लोग अक्सर इनको नजर अंदाज कर देते हैं जबकि इन नई तब्दीलियों से हमारी निजता पर कई बार बड़े पैमाने पर प्रभाव पडने से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। या यूं कहें कि नए नए कानून बनते रहते हैं लेकिन आम जनमानस इन से अक्सर बेखबर रहता है कई वार ऐपस वाले ऐसे कानून भी बनाते हैं जो लोगों के लिए किसी अगयात खतरा से कम नहीं होते। वॉट्सऐप की जो नई पॉलिसी आई है वह उपभोक्ताओं के लिए किसी ‘ख़तरे की घंटी’, से कम नहीं। एक कुटैशन है “इफ़ यू आर नॉट पेइंग फ़ॉर द प्रोडक्ट, यू आर द प्रोडक्ट.’’ यानी अगर आप किसी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने के लिए पैसे नहीं चुका रहे हैं, तो आप ही वो प्रोडक्ट हैं। दरअसल फ़ेसबुक और वॉट्सऐप जैसे प्लेटफ़ॉर्म जिन्हें हम लगभग मुफ़्त में इस्तेमाल करते हैं, क्या वो सचमुच मुफ़्त हैं? उक्त कुटैशन की व्याख्या करते हुए नज़र आते हैं। जबकि उर्दू के एक शायर ने किया खूब कहा है कि :
यूहीं मत कर लीजिए अहिसान के तोह्फ़े कबूल।
जाने किस अहिसान के बदले में किया मांगे कोई।
उक्त सभी सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स दरअसल दीगर संसाधनों के अलावा यूज़र्स के यानी हमारे निजी डेटा से भी अपनी मोटी कमाई करते हैं। लेकिन अक्सर उपभोक्ता इस अंजान रहते हैं। अब एक रिपोर्ट में खुलासा हूआ है कि वॉट्सऐप अपनी पॉलिसियों में कुछ बदलाव ला रही है। जिसके अन्तर्गत अगर आप ‘यूरोपीय क्षेत्र’ के बाहर या भारत में रहते हैं तो इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप आपके लिए अपनी प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों में बदलाव कर रही है। इस के तहत अब अगर आप वॉट्सऐप इस्तेमाल करना जारी रखना चाहते हैं तो आपके लिए इन बदलावों को स्वीकार करना लगभग अनिवार्य होगा। इस संदर्भ में वॉट्सऐप प्राइवेसी पॉलिसी और टर्म्स में बदलाव की सूचना एंड्रॉइड और आईओएस यूज़र्स को एक नोटिफ़िकेशन के ज़रिए दे रहा है। इस के साथ ही नोटिफ़िकेशन में यह भी साफ़ किया गया है कि अगर आप नए अपडेट्स को आठ फ़रवरी, 2021 तक स्वीकार नहीं करते तो आपका वॉट्सऐप अकाउंट डिलीट कर दिया जाएगा। इस का मतलब यह हूआ कि प्राइवेसी के नए नियमों और नए शर्तों को मंज़ूरी दिए बिना अब आप आठ फ़रवरी के बाद वॉट्सऐप इस्तेमाल नहीं कर सकते।
इस से यह स्पष्ट है कि वॉट्स अब आपसे ‘फ़ोर्स्ड कन्सेन्ट’ यानी ‘जबरन सहमति’ ले रहा है क्योंकि यहाँ सहमति न देने का विकल्प आपके पास है ही नहीं।
इस संदर्भ में साइबर क़ानून के जानकारों का मानना है कि आम तौर पर सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म्स या ऐप्स इस तरह के कड़े क़दम नहीं उठाते हैं। इस से पहले आम तौर पर यूज़र्स को किसी अपडेट को ‘स्वीकार’ या अस्वीकार करने का विकल्प दिया जाता है।
ऐसे में वॉट्सऐप के इस ताज़ा नोटिफ़िकेशन ने विशेषज्ञों की चिंताएँ बढ़ा दी हैं और उनका कहना है कि एक यूज़र के तौर पर आपको भी इससे चिंतित होना चाहिए।
इस से पहले अगर हम 20 जुलाई 2020 को आख़िरी बार अपडेट की गई वॉट्सऐप की पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में देखा जाए तो उसमें था कि ”आपकी निजता का सम्मान करना हमारे डीएनए में है. हमने जबसे वॉट्सऐप बनाया है, हमारा लक्ष्य है कि हम निजता के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए ही अपनी सेवाओं का विस्तार करें ”
लेकिन अब नई पॉलिसी में ‘प्राइवेसी’ पर ज़ोर ख़त्म कर दिया गया है। चार जनवरी, 2021 को अपडेट की गई नई प्राइवेसी पॉलिसी में ‘निजता के सम्मान’ पर ज़ोर देते ये उक्त शब्द गायब हैं। नई पॉलिसी में जो प्रावधान हैं उसके अनुसार “हमारी प्राइवेसी पॉलिसी से हमें अपने डेटा प्रैक्टिस को समझाने में मदद मिलती है. अपनी प्राइवेसी पॉलिसी के तहत हम बताते हैं कि हम आपसे कौन सी जानकारियाँ इकट्ठा करते हैं और इससे आप पर क्या असर पड़ता है। ”
जबकि एक रिपोर्ट के मुताबिक इस से पहले फ़ेसबुक ने साल 2014 में 19 अरब डॉलर में वॉट्सऐप को ख़रीदा था और सितंबर, 2016 से ही वॉट्सऐप अपने यूज़र्स का डेटा फ़ेसबुक के साथ शेयर करता आ रहा है। वहीं अब वॉट्सऐप ने नई प्राइवेसी पॉलिसी में फ़ेसबुक और इससे जुड़ी कंपनियों के साथ अपने यूज़र्स का डेटा शेयर करने की बात का साफ़ तौर पर ज़िक्र किया है इस के अंतर्गत वॉट्सऐप अपने यूज़र्स का इंटरनेट प्रोटोकॉल एड्रेस (आईपी एड्रेस) फ़ेसबुक, इंस्टाग्राम या किसी अन्य थर्ड पार्टी को दे सकता है।
नए संशोधन में अब वॉट्सऐप हमारी डिवाइस से बैट्री लेवल, सिग्नल स्ट्रेंथ, ऐप वर्ज़न, ब्राइज़र से जुड़ी जानकारियाँ, भाषा, टाइम ज़ोन फ़ोन नंबर, मोबाइल और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी जैसी जानकारियाँ भी इकट्ठा करेगा। पुरानी प्राइवेसी पॉलिसी में इनका ज़िक्र नहीं था।
एक निऊज़ रिपोर्ट में साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ पवन दुग्गल का कहना है कि वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी यूज़र्स को ‘आग के भँवर’ में घसीटने जैसी है। उन्होंने मजीद कहा कि “वॉट्सऐप की नई पॉलिसी न सिर्फ़ भारतीयों की निजता का संपूर्ण हनन है बल्कि भारत सरकार के क़ानूनों का उल्लंघन है। ” उन्होंने यह भी बताया कि भारत के मौजूदा क़ानून वॉट्सऐप के नियमों पर रोक लगाने में पूरी तरह कारगर नहीं हैं। उन्होंने यह भी कहा कि, “वॉट्सऐप जानता है कि भारत उसके लिए कितना बड़ा बाज़ार है. साथ ही वॉट्सऐप ये भी जानता है कि भारत में साइबर सुरक्षा और निजता से जुड़े ठोस क़ानूनों का अभाव है। ” दुग्गल का यह भी मानना है “वॉट्सऐप ने अपना होमवर्क अच्छी तरह किया है और यही वजह है कि वो भारत में अपने पाँव तेज़ी से पसारना चाहता है क्योंकि भारतीयों का निजी डेटा इकट्ठा करने और उसे थर्ड पार्टी तक पहुँचाने के लिए उसे किसी तरह की रोक-टोक का सामना नहीं करना पड़ेगा.”
नई पॉलिसी के संदर्भ भारतीय कानून का हवाला देते दुग्गल कहते हैं कि भारत में न ही साइबर सुरक्षा से जुड़ा कोई मज़बूत क़ानून है, न ही पर्सनल डेटा प्रोक्टेशन से जुड़ा और न ही प्राइवेसी से जुड़ा। उनका कहना है कि “भारत में एकमात्र एक क़ानून है जो पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन और साइबर सुरक्षा पर कुछ हद तक नज़र रखता है। वो है- प्रोद्यौगिकी सूचना क़ानून (आईटी ऐक्ट), 2000. दुर्भाग्य से भारत का आईटी ऐक्ट (सेक्शन 79) भी वॉट्सऐप जैसे सर्विस प्रोवाइडर्स के लिए काफ़ी लचीला है.”
दुग्गल के अनुसार, वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी आईटी ऐक्ट के विशेष कर दो प्रावधानों का उल्लंघन है इन में एक तो इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नॉलजी इंटमिडिएरी गाइडलाइंस रूल्स, 2011 आता दूसरे इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नॉलजी रीज़नेबल सिक्योरिटी पैक्टिसेज़ ऐंड प्रोसीज़र्स ऐंड सेंसिटिव पर्सनल डेटा ऑफ़ इन्फ़ॉर्मेशन रूल्स, 2011 शामिल है।
यहां उल्लेखनीय है कि वॉट्सऐप एक अमेरिकी कंपनी है और इसका मुख्यालय अमेरिका के कैलीफ़ोर्निया राज्य में स्थित है। वॉट्सऐप कहता है कि यह कैलीफ़ोर्निया के क़ानूनों के अधीन है। जबकि भारत के आईटी ऐक्ट की धारा-1 और धारा-75 के अनुसार अगर कोई सर्विस प्रोवाइडर भारत के बाहर स्थित है लेकिन उसकी सेवाएँ भारत में कंप्यूटर या मोबाइल फ़ोन पर भी उपलब्ध हैं तो वो भारतीय आईटी ऐक्ट के अधीन भी हो जाएगा। इस का मतलब यह हुआ कि वॉट्सऐप भारत के आईटी एक्ट के दायरे में आता है, इसमें कोई शक नहीं है। दूसरी बात, वॉट्सऐप भारतीय आईटी ऐक्ट के अनुसार ‘इंटरमीडिएरी’ की परिभाषा के दायरे में आता है।
आईटी ऐक्ट के सेक्शन-79 के अनुसार प्रावधान इंटरमीडिएरीज़ को यूज़र्स के डेटा का इस्तेमाल करते हुए पूरी सावधानी बरतनी होगी और डेटा सुरक्षित रखने की ज़िम्मेदारी उसी की होगी। दुग्गल कहते हैं कि अगर वॉट्सऐप की नई प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तों को देखें तो ये कहीं से भी आईटी एक्ट के प्रावधानों पर खरी नहीं उतरतीं।
इस के अलावा जिन देशों में प्राइवेसी और निजता से जुड़े कड़े क़ानून मौजूद हैं, वॉट्सऐप को उनका पालन करना ही पड़ता है। जबकि वॉट्सऐप यूरोपीय क्षेत्र, ब्राज़ील और अमेरिका, तीनों के लिए अलग-अलग नीतियाँ अपनाता है।
यूरोपीय क्षेत्रों के तहत आने वाले देशों के लिए अलग, ब्राज़ील के लिए अलग और अमेरिका के यूज़र्स के लिए वहाँ के स्थानीय क़ानूनों के तहत अलग-अलग प्राइवेसी पॉलिसी और शर्तें हैं।
जबकि भारत में यह किसी विशेष क़ानून का पालन करने के लिए बाध्य नज़र नहीं आता। इस संदर्भ में पुनीत भसीन ने एक खरब रसां एजेंसी में खुलासा किया है कि विकसित देश अपने नागरिकों की निजता को लेकर बहुत गंभीर रहते हैं और उनके क़ानूनों में दायरे में रहकर काम न करने वाले सर्विस प्रोवाइडर्स या ऐप्स को प्ले स्टोर में ही जगह नहीं मिलती। वह आगे चलकर कहती हैं, “वॉट्सऐप के ज़रिए अगर किसी के निजी डेटा का गंभीर दुरुपयोग हो जाए तो वो अदालत में मुक़दमा ज़रूर कर सकता है और इस मामले में आईटी एक्ट के तहत कार्रवाई भी हो सकती है लेकिन वॉट्सऐप को लोगों के सामने डेटा को लेकर अपनी शर्तें रखने से रोके जाने के लिए फ़िलहाल देश में कोई क़ानून नहीं है। ”
उक्त बहस के बाद हम इसी नतीजे पर पहुंचे हैं कि अब इंटर्नेट के जरिए चलने वाली मुफ़्त की सेवाएं प्रदान करने वाली वॉट्सऐप जेसी ऐपस में हमारी निजता को कतई महफूज़ नहीं समझा जा सकता ।