अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (एनईपी) पर आयोजित राष्ट्रीय सेमीनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय शिक्षा मंत्री, डा० रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि ”राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन भारत की शिक्षा पद्धति को बदल देगा क्योंकि यह भविष्य को अतीत से जोड़ता है और भारत को शीर्ष पर लाने पर बल देता है।
अपने संबोधन में डा० पोखरियाल ने कहा कि एनईपी इक्विटी, गुणवत्ता और पहुंच की अवधारणाओं पर आधारित है तथा नयी शिक्षा नीति का उद्देश्य मातृभाषा में प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने के साथ ही भारत की विविध प्रकृति को क्षेत्रीय भाषाओं में संदर्भित करना है।
डा० पोखरियाल ने कुछ लोगों द्वारा अंग्रेजी के वैश्विक चलन के आधार पर नई शिक्षा नीति के संदर्भ में संदेह जताने पर कहा कि हमें जापान, जर्मनी, फ्रांस और इजराइल जैसे देशों की सफलताओं को देखना चाहिए जिन्होंने विज्ञान तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपनी मातृभाषाओं में शिक्षा प्रदान करने उपयोग के साथ प्रगति की है।
उन्होंने कहा कि एनईपी न केवल छात्रों, बल्कि शिक्षकों और संस्थानों की क्षमता के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेगा। हमें एनईपी के संबन्ध में लाखों सुझाव मिले हैं और हम इस संबन्ध में और अधिक सुझाव का स्वागत करते हैं। उन्होंने कहा कि यदि आप एनईपी को एक व्यापक दृष्टिकोण से देखते हैं तो आप पायेंगे कि यह नीति जितनी राष्ट्रीय है उतनी ही अंतरराष्ट्रीय भी है।
डा० पोखरियाल ने बताया कि केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा गत 29 जुलाई को अनुमोदित नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति एक ऐसी शिक्षा व्यवस्था बनाने के लिए तैयार है जो देश को बदलने में सीधे योगदान देगी तथा सभी वर्गों को उच्च-गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करेगी और भारत को वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनाने में सक्षम होगी।
उन्होंने कहा कि एनईपी के अंतर्गत छात्रों को रूचि तथा विशिष्टता के आधार पर एक या एक से अधिक विषयों के अध्ययन का अवसर प्राप्त होगा तथा इसका ज़ोर विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, कला और मानविकी के क्षेत्रों के मध्य छात्रों के चरित्र निर्माण, वैज्ञानिक स्वभाव, रचनात्मकता, सेवा की भावना और विभिन्न विषयों में क्षमताओं के विकास पर होगा।
डा० पोखरियाल ने कहा कि केवल शिक्षा ही ऐसी चीज़ है जो लोगों को अंधकार से प्रकाश व ज्ञान के मार्ग पर ले जाती है। उन्होंने कहा कि देश के 1000 से अधिक विश्वविद्यालयों, 35,000 डिग्री कालिजों और अनगिनत स्कूलों में कार्यरत लोगों का इस नीति को लागू करने में बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में, 3-6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को 10+2 पद्धति में शामिल नहीं किया गया है क्योंकि कक्षा 1 की आयु 6 वर्ष से प्रारंभ होती है जबकि नई 5+3+3+4 पद्धति में 3 वर्ष की आयु से ही बच्चों को ”प्रारंभिक बचपन देखभाल और शिक्षा”(ईसीसीई) व्यवस्था में शामिल किया गया है जिसका उद्देश्य बेहतर समग्र शिक्षा, विकास और कल्याण को बढ़ावा देना है।
डा० पोखरियाल ने कहा कि स्कूलों में छात्रों के प्रदर्शन को रिपोर्ट कार्ड के आधार पर नहीं आँका जाएगा बल्कि इसके बजाय छात्रों को एक समग्र, बहुआयामी रिपोर्ट के लिए प्रगति कार्ड दिया जाएगा जो प्रत्येक छात्र की संज्ञानात्मक तथा स्नेहात्मक विशिष्टता और साइकोमोटर डोमेन को दर्शाएगा।
नई शिक्षा नीति में विश्वविद्यालय स्तर पर डिग्री कार्यक्रमों की प्रणाली के बारे में बताते हुए डा० पोखरियाल ने कहा कि छात्रों को तीन से चार वर्ष के स्नातक कार्यक्रमों में प्रवेश दिया जाएगा परन्तु उन्हें स्वतंत्रता प्राप्त होगी कि वह एक वर्ष पर पाठ्यक्रम छोड़े तो उन्हें डिप्लोमा, दो वर्ष पूर्ण करने पर एडवांस्ड डिप्लोमा तथा 3 वर्ष पर स्नातक तथा 4 वर्षीय पाठ्यक्रम पूर्ण करने पर शोध सहित स्नातक डिग्री प्रदान की जाएगी।
डा० पोखरियाल ने कहा कि मुझे गर्व है कि कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर के मार्गदर्शन में अमुवि विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति कर रहा है। उन्होंने कहा कि अकादमिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में विश्वविद्यालय में सुधार हो रहा है तथा कुलपति समर्पित भावना के साथ भारत तथा विदेश में विश्वविद्यालय की छवि को और बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो अति प्रशंसनीय है।
इस अवसर पर उन्होंने भौतिकी विभाग के प्रोफेसर एम सज्जाद अतहर और प्रोफेसर एस के सिंह द्वारा लिखित पुस्तक ”फिज़िक्स आफ न्यूट्रिनो इंटरैक्शन्स”(कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी प्रेस द्वारा प्रकाशित) का आभासीय विमोचन भी किया। यह पुस्तक न्यूट्रिनो भौतिकी पर एक उन्नत अध्ययन है जिसमें न्यूट्रिनो, इसके गुणों, इलेक्ट्रोवीक इंटरैक्शन के मानक मॉडल और लेप्टॉन और न्यूक्लियॉन से न्यूट्रिनो बिखेरने का शैक्षणिक विवरण प्रस्तुत किया गया है।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष प्रोफेसर डी पी सिंह ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में स्कूली तथा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर परिवर्तनकाडा० सुधार लाने की क्षमता है। उन्होंने कहा कि इस नीति से शिक्षा को न केवल संज्ञानात्मक क्षमताओं एवं साक्षरता और संख्यात्मक विशेषताओं का विकास होगा बल्कि इससे सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक क्षमताओं और स्वभावों के विकास का मार्ग भी प्रशस्त होगा।
उन्होंने बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बहुविषयक विश्वविद्यालय तथा कालिज स्थापित होंगे और अकादमिक और प्रशासनिक स्तर पर संस्थागत स्वायत्तता को बढ़ावा मिलेगा ।
प्रोफेसर सिंह ने कहा कि एनईपी 2020 के सफल कार्यान्वयन और निष्पादन के लिए हमें अपने उच्च शिक्षण संस्थानों से बहुत आशाऐं हैं और हम उनके निरंतर सहयोग व समर्थन की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
साहित्य के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान के लिए वात्सल्य लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्राप्त करने के लिए डा० रमेश पोखरियाल निशंक को बधाई देते हुए कुलपति प्रोफेसर तारिक मंसूर ने कहा कि एनईपी-2020 का श्रेय शिक्षा मंत्री को जाता है जिन्होंने एनईपी पर आम सहमति से विभिन्न वर्गों और राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों को एक मंच पर लाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है।
उन्होंने कहा कि डा० पोखरियाल ने कोविड महामाडा० के दौरान शिक्षा व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए उल्लेखनीय नेतृत्व का प्रदर्शन किया है।
कुलपति ने कहा कि यूजीसी और शिक्षा मंत्री ने देश में कोविड मामलों में वृद्धि के बावजूद छात्रों के अकादमिक वर्ष को बचाने में सफलता प्राप्त की है। उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री के व्यापक दृष्टिकोण के कारण ही देश भर के विश्वविद्यालय शैक्षणिक वर्ष पूरा करने के लिए आनलाइन कक्षाएं संचालित कर पाए।
उन्होंने कहा कि एएमयू के जेएन मेडिकल कालिज में भारत बायोटेक द्वारा निर्मित कोविड के टीके कावैक्सिन का ट्रायल चल रहा है तथा आशा है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए टीकाकरण शुरू होने के उपरान्त अकादमिक और आर्थिक गतिविधियों को तेज़ी से बहाल किया जा सकेगा।
प्रथम तकनीकी सत्र में विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर काजी मजहर अली ने नई शिक्षा नीति की आवश्यकता को समझाया। जबकि शिक्षा विभाग की अध्यक्ष प्रोफेसर नसडा०न ने प्राइमरी, मिडिल तथा सीनियर स्कूल से लेकर उच्च कक्षा तक शिक्षा व्यवस्था पर प्रस्तुति दी।
आनलाइन कार्यक्रम में रजिस्ट्रार डा० अब्दुल हमीद (आईपीएस) भी उपस्थित थे।
प्रोफेसर एम सज्जाद अतहर ने अतिथियों का आभार जताया।