लखनऊ, 29 अक्टूबर। भाकपा (माले) की राज्य इकाई ने कहा है कि एक ऐसे दौर में जब संविधान, लोकतंत्र और कानून का राज खतरे में है, बसपा ने भाजपा के साथ हाथ मिलाकर फासीवाद के खिलाफ लड़ाई को कमजोर करने का काम किया है।
माले के राज्य सचिव सुधाकर यादव की ओर से गुरुवार को जारी बयान में कहा है कि राज्य सभा एमपी चुनाव के मौके पर बसपा के कुछ विधायक यदि सपा की ओर गए, तो इसकी प्रतिक्रिया में बसपा प्रमुख द्वारा आगामी एमएलसी चुनाव में भाजपा के पक्ष में वोट करने की हद तक जाने की घोषणा करना उस बहुजन समाज के साथ धोखा है, जिस समाज की राजनीति करने का सुश्री मायावती दावा करती हैं।
बयान में माले नेता ने कहा कि हालांकि बसपा प्रमुख का यह पाला बदल अचानक नहीं हुआ है और पिछले कुछ समय से भाजपा के प्रति नरमी दिखाते उनके बयानों और दृष्टिकोणों से राजनीति पर नजर रखने वाले लोग बसपा की राजनीतिक दिशा को लेकर बहुत आश्वस्त नहीं थे। लेकिन अब तो सब कुछ साफ हो गया है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि मायावती जी ने भाजपा का समर्थन करने की अतीत की गलतियों से लगता है कोई सबक नहीं लिया है। माले नेता ने अम्बेडकर के उस कथन का याद दिलाया जिसमें बाबासाहेब ने कहा था कि हिन्दू राष्ट्र भारत के लिए विपत्ति होगी। यह बात आज के मोदी-योगी राज से भी स्पष्ट है।
सुधाकर ने कहा कि मायावती जी बाबासाहेब का नाम लेकर राजनीति करती हैं, लेकिन हिन्दू राष्ट्रवादियों और मनुवादियों से हाथ मिलाने से परहेज नहीं करतीं। एक बार फिर से भाजपा के साथ जाने का रास्ता चुनकर बसपा ने बाबासाहेब को बॉय-बॉय तो कहा ही है, बसपा मार्का बहुजन राजनीति का अंत भी लगता है सुनिश्चित कर दिया है। माले नेता ने कहा कि इसी के साथ मायावती जी यूपी में चल रहे जंगलराज में भी सहभागीदार हो गई हैं। बहुजन समाज शायद ही उन्हें माफ करे।
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