लॉकडाउन मे चेम्बर ऑफ इंडस्ट्रीज़ ने परेशान ए हाल बुनकरों से ख़रीदे कपड़े, हुनरमंद महिलायें बना रहीं कॉटन का मास्क

0
114

गोरखपुर। कोरोना वायरस के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन में जिंदगी जीने की जनता तमाम तरह की जद्दोजहद कर रही है। गरीब मजदूर बुनकर आदि के पास काम नहीं है। वहीं लॉकडाउन में ही चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज के प्रयास से करीब 40 हुनरमंद महिलाओं को काम मिला है वहीँ बुनकरों के बनाये कपड़े के खरीददार भी मिल गए। यह कोशिश भले ही छोटी है लेकिन इसका भविष्य उज्जवल दिख रहा है।


इंडस्ट्रियल एरिया में चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज के दफ्तर में लॉकडाउन पीरियड से ही हुनरमंद महिलाएं सुबह पहुंच जाती है। करीब 10 महिलाएं हर रोज इलेक्ट्रानिक सिलाई मशीन से करीब 1500 मॉस्क बनाती हैं। मास्क के कपड़े की कटाई घरों पर रहकर करीब 30 महिलाएं कर रही हैं। मास्क तैयार करने में बुनकरों द्वारा तैयार कॉटन कपड़ा उपयोग में लाया जा रहा है। इस तरह लॉकडाउन में भी कुछ हुनरमंद महिलाओं व बुनकरों की रोजी रोटी का इंतजाम हो गया है। फिलहाल तीन लेयर का मास्क तैयार हो रहा है। एक लेयर के मास्क की कीमत 12 रुपयेए दो लेयर मास्क की कीमत 15 रुपये व तीन लेयर मास्क की कीमत 18 रुपये है। यह बाजार में बिक रहे अन्य सस्ते मास्क की तुलना में टिकाऊ व सुरक्षित है। इस मास्क की कीमत भी कम है। जैसे.जैसे मास्क की डिमांड बढ़ेगी वैसे.वैसे यहां काम करने वालों की संख्या में इजाफा होता जायेगा।
अभी फिलहाल 10 मशीनों पर मास्क तैयार किया जा रहा है। जब डिमांड बढ़ेगी तो बुनकरों द्वारा तैयार कपड़ों की भी मांग बढ़ जायेगी। बुनकरों को नया बाजार मिल जायेगा। बुनकरों की तार.तार हो रही इनकी जिंदगी में यह मास्क एक पैबंद का काम करेगा। जिसके जरिए उनके खाली हाथ में कुछ रकम आ जायेगी और रुकी हुई जिंदगी खिसक सकेगी। चैम्बर ऑफ इण्डस्ट्रीज के पूर्व अध्यक्ष एसण्केण् अग्रवाल ने बताया कि हमारी संस्था में कुछ माह पहले महिलाओं को रेडीमेड कपड़े तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया था। कोरोना वायरस प्रकोप में मास्क की डिमांड बढ़ी तो संस्था के जिम्मेदारों ने प्रशिक्षित महिलाओं को अपने दफ्तर में मास्क बनाने का काम सौंपा। कपड़े के लिए बुनकर जेहन में आए। आसपास के बुनकरों से कॉटन कपड़ा लिया गया। कपड़ा खरीदकर मास्क बनना शुरु हुआ। मास्क के कपड़े की कटाई 30 के करीब महिलाएं घर पर करती है। दफ्तर में 10 महिलाएं दस मशीनें पर बैठकर सिलाई करती हैं। रोज 1500 मास्क तैयार हो जाता है। इससे रोजगार भी मिल जाता है। हमारे यहां से काफी संख्या में महिलाओं को प्रशिक्षण दिया चुका है लेकिन मशीन अभी केवल दस है। जैसे.जैसे काम बढ़ेगा हम मशीनें भी बढ़वायेंगे | सिलाई करने वाली महिलाओं को बढ़ाया जायेगा और मास्क की क्वालिटी भी बेहतर करेंगे। एक्सपर्ट की राय ली जायेगी। वैसे मास्क के लिए बुनकरों द्वारा तैयार कॉटन का कपड़ा बहुत बेहतर है। जो बाजार में उपलब्ध मास्कों की तुलना में काफी अच्छा है। मास्क को आप सैनिटाइजड भी कर सकते हैं। धो भी सकते हैं। यह मास्क ज्यादा दिन तक चलने लायक है। मास्क कई रंग के कपड़ों में भी उपलब्ध है। डिमांड भी बढ़ती जा रही है। खुशी इस बात की ज्यादा है कि हमारे इस प्रयास से लॉकडाउन में कुछ लोगों की रोजी रोटी का इंतजाम हो गया।

Also read

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here