तबलीगी जमात के समर्थन में उतरे मुस्लिम संगठन, कहा- ‘मीडिया गलत प्रचार कर रही है’

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सोमवार को दिल्ली के निजामुद्दीन दरगाह का इलाका अचानक खबरों में आ गया. इस इलाके में सैंकड़ों लोगों के कोरोना संक्रमित होने की बात सामने आई. पुलिस ने तुरंत कार्रवाई करते हुए लोगों को जांच के लिए भेजा।

इस धार्मिक कार्यक्रम में हजारों लोगों के शामिल होने की बात कही जा रही है। ऐसे में कुछ मीडिया चैनल इसे हिन्दू-मुसलमान ऐंगल भी दे रहे हैं। वहीँ कई मुस्लिम नेताओं ने तब्लीगी जमात और मरकज़ निज़ामुद्दीन के खिलाफ मीडिया प्रोपगेंडे की निंदा की है।

नेशनल कांफ्रेंस के नेता व पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला

अब्दुल्ला ने कहा कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलाने के लिए मुसलमानों को दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए। ट्विटर के जरिए वह उन लोगों की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे जो तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों को निशाना बना रहे थे। अब्दुल्ला ने ट्वीट कर लिखा ” अब सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स के लिए मुसलमानों को निशाना बनाना ज्यादा आसान हो जाएगा।” अब्दुल्ला ने एक और ट्वीट कर लिखा ” पहली नज़र में यह प्रतीत होता है कि तब्लीगी जमात गैर-जिम्मेदार थे। लेकिन भारत में ज़्यादातर मुसलमानों ने सरकारी दिशानिर्देशों को ध्यान में रखते हुए उसका पालन किया है।”

जमात-ए-इस्लामी
जमात-ए-इस्लामी हिंद के प्रेसिडेंट सैयद सआदतुल्लाह हुसैनी ने एक बयान में कहा कि गंदी राजनीति और सांप्रदायिक विभाजन के लिए मानव संकट का उपयोग करना शर्मनाक अपराध है। उन्होंने कहा कि देश केअन्य धार्मिक और गैर-धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए, लेकिन लेकिन केवल मरकज़ निज़ामुद्दीन को निशाना बनाया जा रहा है।

मार्कज निजामुद्दीन के किसी भी अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने से पहले, इसे केंद्र और दिल्ली सरकारों के अधिकारियों के खिलाफ दर्ज किया जाना चाहिए, जिसके कुप्रबंधन के कारण लाखों मजदूर आनंद विहार और अन्य स्थानों पर फंसे हुए थे।

जमीयत उलमा-ए-हिंद
जमीअत उलमा-ए-हिंद के मौलाना अरशद मदनी ने भी निज़ामुद्दीन में तब्लीगी जमात के मरकज़ के खिलाफ नकारात्मक मीडिया प्रचार की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मीडिया इस मामले को सांप्रदायिक रंग दे रहा है। उन्होंने कहा कि अचानक तालाबंदी के कारण लोग मरकज लिए व्यवस्था बनाने के बजाय इस मुद्दे पर इतना हाय-हाय क्यों मचाई जा रही है ।

मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी
मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने धार्मिक घृणा पर आधारित मीडिया कवरेज को दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि तब्लीगी जमात को निशाना बनाने के बजाय, मीडिया को इस बात पर चर्चा करनी चाहिए कि सरकार ने लोगों को उनके घरों में लौटने का समय दिए बिना अचानक तालाबंदी की घोषणा कैसे की। उन्होंने सभी मुसलमानों से गुटबाजी के मतभेदों को दूर करने और मरकज़ निज़ामुद्दीन के समर्थन में आने का आग्रह किया।

असदुद्दीन ओवैसी

वहीं ओवैसी ने भी इसको लेकर मीडिया पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा कि बीमारी का कोई धर्म नहीं है। मीडिया द्वारा इस मुद्दे को धर्म से जोड़कर गलत प्रचार किया जा रहा है।

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